Book Title: Hindi Gujarati Kosh
Author(s): Maganbhai Prabhudas Desai
Publisher: Gujarat Vidyapith
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संक्रमण ५०७
संचय संक्रमण पुं० [सं.] एकमाथी बीजामा संग-साज पुं० [फा. लीथोना पथ्यरने जवू ते; प्रवेश; गमन
ठीक करनार संक्रांति स्त्री० [सं.] (एकमांथी बीजी संग-सार पं०, -री स्त्री० [फा. राशिम) प्रवेश; गमन
'संगसारी'-पंचईंटाळीनी सजा संक्रामक वि० [सं.] चेपी (रोग) संग-सुरमा पुं० [फा.] सुरमो बनाववानो संक्षिप्त वि० [सं.] ट्रॅकु; सारभूत. लिपि पथ्थर स्त्री० लघुलिपि
संगाती पुं० संगाथी (२) दोरत संक्षेप पुं० [सं.] ट्रॅकाण; सार संगो पुं० साथी; सोबती (२) स्त्री० संखिया पुं० सोमल के तेनी भस्म एक जातवें कपड़े (३) वि० [फा.] संख्या स्त्री० [सं.] आंकडो; गणतरी पथ्थरनु; संगीन संग अ० साथे; संगाथे (२) पं[फा.] संगीत पुं० [सं.] गायन, वादन इ०
पथ्यर (३) [सं.] सोबत; मिलन संगीन वि० [फा.] (नाम,नी) पथ्थरनुं संगठन पुं० अलग होय तेने एकत्र बांधवं (२) संगीन; मजबूत; टकाउ (३)
ते के तेम करी तैयार करातुं तंत्र विकट; अटपटुं (४) पुं० बंदूकन संगीन संगठित वि० संगठन करायेलं; एक- संगृहीत वि० [सं.] संघरायेलं त्रित करीने रचायेलं [साधुनो मठ । संग-असवद पुं० [फा.+अ.] काबानो संगत स्त्री० संग; संगति (२) उदासी पवित्र काळो पथ्थर संगतरा पु० संतर
संगे-पारस पुं० पारसमणि संग-तराश पुं० [फा. पथ्थरफोडो संग्रह पुं० [सं.] संघरो; संचय संगति स्त्री० [सं.] संग; सोबत संग्रहणी स्त्री० [सं.] एक रोग संगतिया, संगती पुं० गवयानो साजिदो संग्रहालय पुं० [सं.] संग्रहस्थान -साथी
संग्राम पुं० [सं.] युद्ध; लडाई संग-दिल वि० [फा.] कठण दिलन; संघ पुं० [सं.] समूह; जूथ (२) मंडळ
क्रूर; कठोर (नाम, -ली स्त्री०) संघटन पुं० संगठन (२) [सं.] मेळाप; संग-पुश्त पुं० [फा. काचबो
संयोग
[संहार संगम पुं० [सं.] मळवू ते; मिलन संघ (-घा)रना सक्रि० (प.) संघार; संग-मर्मर पुं० [फा.] संगमरमर; संघर्ष,०ण पुं० [सं.] झपाझपी; अथडामण आरसपहाण
संघात पुं० [पं.] समूह (२) संघ; जूथ संगमूसा पुं० [फा. एक जातनो काळो (३) आघात
लीसो कीमती पथ्थर पथ्थर संघाती पुं० [सं.] साथी संग-यशव पुं० [फा. एक लीलो कीमती ___ संघार पुं० (प.) संहार संगरेजा पुं० [फा. नानो पथ्थरो; रोड़ें। संघारना स०क्रि०(प.) जुओ ‘संघरना' संग-लाख पुं० [फा. पहाडी स्थान (२) संघाराम पुं० [सं.] बौद्ध मठ के बिहार वि० कठण; कठोर
संचय पुं० [सं.] ढेर; ढगलो (२) संग्रह
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