Book Title: Hindi Gujarati Kosh
Author(s): Maganbhai Prabhudas Desai
Publisher: Gujarat Vidyapith

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Page 592
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुनाजाते बेवा संपा० गिरिराजकिशोर यह अर्दूके प्रसिद्ध कवि मौलाना अल्ताफहुसेन हालीके काव्यका नागरी रूपान्तर है। अिसमें भारतीय विधवाकी व्यथाका अितना सच्चा और मार्मिक चित्रण है, मानो किसी विधवाने ही अिसे लिखा हो। की० ०-५-० डाकखर्च ०-२-० चुपकी दाद संपा० गिरिराजकिशोर __ यह मौलाना हालीकी दूसरी सुन्दर पुस्तक है। अिसमें अन्होंने लोगोंको समझाया है कि स्त्रियोंका समाजमें क्या स्थान है, अनकी कितनी बड़ी जिम्मेदारियां हैं और अिन्हें वे पूरा कर सकें जिसके लिओ अन्हें शिक्षा देना कितना जरूरी है।। की० ०-३-० डाकखर्च ०-२-० आधुनिक हिन्दी कविता __ संपा० नानुभाी बारोट, गिरिराजकिशोर अिस पुस्तकमें नागरी और अर्द लिपिमें लिखी गऔं 'खड़ी बोली 'की आधुनिक कविताओंका संग्रह किया गया है। हिन्दी-अर्दूकी मिलीजुली आसान शैलीमें लिखनेवाले आधुनिक युगके लगभग सभी प्रतिनिधि कवियोंकी रचनाओंके नमुने अिसमें आ गये हैं। की० १-०-० डाकखर्च ०-४-० प्राचीन हिन्दी कविता ___ संपा० --गिरिराजकिशोर, अम्बाशंकर नागर यह संग्रह राष्ट्रभाषाके अभ्यासके खयालसे तैयार किया गया है। कवियों और अनकी रचनाओंके चुनावमें यह बात ध्यानमें रखी गी है कि असे कवियों और काव्योंको लिया जाय जो समाज पर अपना असर छोड़ गये हैं। कुछ प्रसिद्ध अहिन्दी-भाषी सन्तोंकी रचनायें भी अिसमें ली गी हैं। की० १-१०-० डाकखर्च ०-५-० भल-सुधार लेखक : गिरिराजकिशोर, अम्बाशंकर नागर अिस पुस्तकके नामसे ही पता चलता है कि यह गुजरातमें हिन्दी सीखनेवालोंको बोलने और लिखनेकी भूलोंसे बचानेके लिअ तैयार की गी है। भाषाशास्त्रकी दृष्टिसे अिसका लाभ गुजरातीके सिवा अन्य भाषा-भाषियोंको भी मिलेगा। ... की० १-०-० डाकखर्च ०-४-० प्राप्तिस्थान --- नवजीवन कार्यालय, अहमदाबाद-१४ For Private and Personal Use Only

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