Book Title: Hindi Gujarati Kosh
Author(s): Maganbhai Prabhudas Desai
Publisher: Gujarat Vidyapith
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सूफ़ियाना
से धिया सूफ़ियाना वि० [फा.] जुओ 'सोफ़ियाना' सूर्य पुं० [सं.] सूरज. -र्यास्त पुं० सूर्य सूफ़ी पुं० [अ.] सूफीवादी माणस (२) आथमे ते. -र्योदय पुं० सूर्य ऊगे ते सादो साधु माणस
सूल पुं० शूळ; सूळ सूबा पुं० [फा. प्रांत; देशनो भाग (२) । सूली स्त्री० शूळी (२) फांसी सूबो; सूबेदार. -बेदार पुं० सूबो (२) । सूस (०मार) पुं० 'तूंस'; एक जलचर अमुक दरज्जानो पोलीस के सैनिक सूहा पुं० एक जातनो लाल रंग (२) एक सूम,०ड़ा वि० कंजूस
संकर राग (३) वि० लाल सूर पुं० सूरदास (२) वि० शूर (प.) (३) । सृगाल पुं० [सं.] शियाळ (२) डरपोक के पुं० सूवर (४) [अ.] क्यामतने दिवसे दुष्ट माणस वागनारुं एक वाजें (५) [फा.] खुशी; सृजक वि० (प.) सर्जक; पेदा करनार आनंद (६) लाल रंग
सृजन पुं० (प.) सृष्टि; सर्जन. हार पुं० सूरज पुं० सूर्य. ०मुखी पं० एक फूल सर्जनहार (२) एक जातनुं दारूखानु. -को सृजना सक्रि० (प.) सरजवू ; पेदा करवू दीपक दिखाना = स्वयं जे प्रसिद्ध के सृष्ट वि० [सं.] सरजेलं; रचेलं (२)त्यजेलं गुणी होय तेनो परिचय कराववो. सृष्टि स्त्री० [सं.] जगत; विश्व (२) -पर थूकना या धूल फेंकना=निर्दोष । __ सर्जन (३) त्याग के पवित्रने लांछन लगाडवू सेक स्त्री० शेक; शेकवं ते सूरत स्त्री० [अ.] शिकल; रूप (२) रस्तो; से कना सक्रि० शेकवं उपाय (३) हाल; दशा. -दिखाना=मों। सेंगर पुं० शाकनी एक फळी के तेनो एक बताव; सामे आववं. -बनाना= रूप . छोड (२) बावळनो परडो (३) एक काढवं; वेश बदलवो (२) मों मरडवं. अनाज (४) एक रजपूत जात -बिगड़ना=चहेरो फीको पडवो; सेत स्त्री० खर्च वगर-मफत थर्बु ते निस्तेज थवं
बाह्यतः से तमें, सेत-मेत अ० मफत (२) व्यर्थ सूरतन् अ० [अ.] देखवामां; उपरथी; ___ से दुरा वि० सिंदूरियु (२) पुं० सिंदूरनी सूरत-परस्त वि० [फा.] सौंदर्य-पूजक(२) डबी
[फूल झाड बुत-परस्त [पण उपरथी देखावडु ____ से दुरिया वि० सिंदूरियु (२) पुं० एक सूरत-हराम वि० [फा.] अंदरथी निस्सार से दूर पुं० सिंदूर. -चढ़ना=स्त्रीए सूरति स्त्री० (प.) सूरत (२) स्मृति परणवू सूरन पुं० सूरण
सेध स्त्री० दीवालमां खातर पडे ते; सूरमा (-वाँ) पुं० शूर; वीर; योद्धो बाकुं.-लगाना=कोचीने खातर पाडवू सूरा पुं० सूरदास; अंध (२) अनाजमां से धना अ०क्रि० भीतमां खातर पाडवू पडतुं एक जीवथु (३) [अ.] कुराननं सेंधा पुं० सिंधव प्रकरण
से धिया वि० खातर-पाडु (चोर) (२) सूराख पुं० [फा.] सुराख; छिद्र पुं० ग्वालियरनो सिंधिया
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