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१२ हिदायत बुतपरस्तिये जैन जिनघर कहा, अगर जैनमजहबमें जिनमंदिरका मानना न होता तो जिनघर ऐसा पाठ क्यों होता ? सबुत हुवा, उसमें जिनमूर्ति मौजूद थी उसी सबबसे जिनघर कहा, देखलिजिये! ज्ञातासूत्रके मूलपाठसे जिनमंदिर और जिनमूर्तिका होना साबीत होचुका, रायपसेणीसूत्रमें लिखा है कि-सुर्याभदेवताने जिनप्रतिमाकी पूजा किई, अगर अविरति समष्टिकी धर्मक्रिया गिनतिमें नही लेते तो अविरति समद्रष्टि देवेंद्रका कहा हुवा पाठ गिनतिमें क्यों लेते हो? श्रेणिकराजा अविरतिसमद्रष्टि श्रावक थे जिनोने विनाव्रतनियमके तीर्थकरगोत्र हासिल करलिया, जोकि-एक आलादर्जेकी चीजथी अगर कहा जाय मूर्ति कुछ बोलती नही इसलिये उसे क्यों मानना? जवाबमें मालुम हो धर्मपुस्तक भी खुद बोलते नही ऊनकोभी नही मानना चाहिये, अगर कोई कहे मूर्ति त्यागी है या भोगी ? एकेंद्रिय या पंचेंद्रिय ? जवाबमें मालुम हो धर्मशास्त्र त्यागी या भोगी? एकेंद्रिय या पंचेंद्रिय ? अगर कोई तेहरीर करे जिनप्रतिमामें गतिजाति इंद्रिय कौनसी ? योग ऊपयोग कितने ? लेश्या कितनी ? जवाबमें मालुम हो आचारांग वगेरा धर्मपुस्तकोमें गतिजातिइंद्रिय योगऊपयोग और लेश्या कितनी ? जैसे जैनमूर्ति पाषाणकी बनी हुई है, आचारांग वगेरा धर्मपुस्तक कागज-स्याहाके बने हुवे है.
कोई श्रावक किसी जैनमुनिकों अपने शहरमें या गेरमुल्कमें वंदना करने जावे तो उसको पुन्य होगा या पाप ? अगर कहा जाय पुन्य होगा तो शत्रुजय गिरनार वगेरा जैनतीर्थके दर्शनकों जानेमें पुन्य क्यों नहीं? कोई जैनमुनि अपने शहरमें तशरीफ लावे
और श्रावकलोग गुरुभक्तिसे कोस दो कोस सामने जावे तो पुन्य होगा या पाप ? अगर कहा जाय पुन्य होगा तो बतलाइये रास्तेमें जो वायुकाय वगेरा जीवोकी हिंसा हुई उसका पाप किसकों लगा? अगर कहा जाय मनःपरिणाम गुरुभक्तिके थे. इसलिये