Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 1
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 23
________________ ग्रंथांक प्रत नाम २६ २७ २८ २९ ३० (पेटा नंबर), पेटा नाम कृति नाम (पे.५) जीवदयाप्रकरण (पे.६) नवपदप्रकरण (पे.७) एकविंशतिस्थानप्रकरण 1. (पे.८) समयक्षेत्रसमास (पे.९) श्रमणोपासक प्रतिक्रमणसूत्र श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (पे. १०) अतिचारगाथा आयरिय उवज्झाय साथ. (पे. ११) गीतमपृच्छा (2) गौतमपृच्छा प्रकरण निशीथ भाष्य निशीथसूत्रभाष्य आचाराङ्गसूत्र आचाराङ्गसूत्रनिर्युक्ति आचाराङ्गसूत्र-निर्युक्ति आचाराङगसूत्रनिर्युक्तिटीका आचाराङ्गसूत्र-वृत्ति आचाराङ्गसूत्रचूर्णि आचाराङ्गसूत्र- चूर्णी स्थिति कर्ता जिनचन्द्रसूरि देवगुप्तसूरि सिद्धसेन सूरि मध्यम श्रेष्ठ सुधर्मास्वामी श्रेष्ठ भद्रबाहुस्वामी श्रेष्ठ शीलाङ्काचार्य श्रेष्ठ (भांता) भांडारकर इन्स्टिट्युट - पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट - पूना (ताडपत्रीय ) पूर्णता प्रतिलेखन वर्ष पत्र रचना वर्ष प्रत प्रकार क्लिन / ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडीझे. पत्र (झे. पत्र) कृति प्रकार पद्य पद्य भाषा प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. प्रा. संपूर्ण प्रा. संपूर्ण प्रा. पूर्ण प्रा. पूर्ण सं. संपूर्ण प्रा. सं. परिमाण गा. ११६ गा. १३८ गा. ६६ गा. ५० गा. १२ गा. ५३ ताडपत्र गा. ६४३९ ग्रं. ८४०० ताडपत्र ग्रं. २६४४ ताडपत्र गा. ३६५ ग्रं. ४७० ताडपत्र ग्रं. १२००० ताडपत्र ग्रं. ८३०० वि. १३४८ वि. १३४८ वि. १३४८. शक. ७९८ वि. १४५० 6 आदिवाक्य संसयतिमिरपयङ्गं भविय नमिउण बद्धमाणं मिच्छ चवण विमाणा नयरी जणया वन्दित्तु सव्वसिद्धे नमिऊण तित्थनाहं जाण १९७ णवबम्मचेरमइओ अट्ठारस ४२७ सुयं मे आउ तेणं १६ वन्दित्तु सव्वसिद्धे ३४९ जयति समस्तवस्तु २७८ मङगलादीणि सत्याणि पद्य पद्य पद्य पद्य पद्य ६९/७७ (१६६) पद्य ६९/७७ (३७०) संयुक्त प+ग ६९/७७ (१३) पद्य ६९/७८ (११७) गद्य ६९/७८ (१८८) गद्य प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष (पे.पू. १५४B-१६५A) (पे.पृ. १६५-१७८B) [कृ.वि. कर्त्ता तरीके सूचीपत्रोमां बन्ने नाम मळे छे अने कुलचन्द्र कृत टीकानी प्रशस्तिमां पण प्रथम दृष्टिए बन्ने नाम जणाय छे.] (पे. पृ. १७८B- १८४B) पे.वि.: सूचीपत्र नं. २-२९१. (पे. पृ. १८४B - १९२B) (पे. पृ. १९३-१९७B) पे. वि. सूचीपत्र नं. १-९१९. (पे. पृ. १९७B- १९८B) पे.वि. सूचीपत्र नं. १-११८६. (पे. पृ. १९८B-२०३B) कृ. वि. गाथा ५१ थी १४९ सुधी पण मळे छे. (जुनो नं. १८८१-८२/८ ) सूचीपत्र नं. १-४४२ / निशीथसूत्र मूल पण होवु जोईये. आदिवाक्य- जे भिक्खू हत्थ ..... (३१.५४२., ६x) (जुनो नं. १८७२-७३ / ७८) भंडार-संदर्भाक-७८-८०/७२-७३. सूचीपत्र नं. १-२ (३३.५४२.५, ३-५४) भंडार-संदर्भाक-७८-८०/७२-७३ सूचीपत्र नं. १-७. भंडार-संदर्भाक-७८-८०/७२-७३ सूचीपत्र नं. १-१२. प्रथम श्रुतस्कन्ध टीका ग्रन्थाग्र- ९६६१. बाहरी साधु सहायेन कृता टीका. ( जुनो नं. १८८१-८२ / २ ) सूचीपत्र नं. १-९ / कुल ८७४० श्लोक.. (२२४१.५, ५-६x८०-८५)

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