Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 1
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 19
________________ स्थिति ग्रंथांक प्रत नाम (पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम (भांता) भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना भांडारकर ईन्स्टिट्युट-पूना (ताडपत्रीय) पूर्णता प्रत प्रकार प्रतिलेखन वर्ष पत्र क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- भाषा परिमाण रचना वर्ष आदिवाक्य झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार प्रतिपूर्ण ताडपत्र ६६/७५(८२) प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कर्ता व्यवहारसूत्र भाष्यटीका-उद्देशक- मध्यम ७-९ (जुनो नं. १८८१-८२/१५)सूचीपत्र नं.१-४७५. (पत्र-७११४९ सारा छे. बाकी खराब छे.)/पत्र-५११४९८९९+3=१०२.. (३२४२....६४......... गद्य व्यवहारसूत्र-वृत्ति उत्तराध्ययन सुखबोधावृत्ति मलयगिरिसूरि श्रेष्ठ सं. अपूर्ण ग्रं.१३७१९ ताडपत्र वि. १३४२ प्रणमत नेमिजिनेश्वर :३९४-१(३०३)=३९३ (जुनो नं. १८८०-८१/५)सूचीपत्र-नं.१-६६३./पत्र३९३+१+१-२-३९३.. (३३४२.५, ३-६४) उत्तराध्ययनसूत्र-सुखबोधावृत्ति उत्तराध्ययन सुखबोधावृत्ति नेमिचन्द्रसूरि श्रेष्ठ सं.,प्रा.,अपभ्रं. गं. १२०००वि . ११२९ अपणे ताडपत्र वि. ११६४ प्रणम्य विघ्नसघात :३४१ ६६/७५(२२०) (जुनो नं. १८८१-८२/४)सूचीपत्र-नं.१-६६२., (२६४१.५, ३-५४) लेखन स्थल : आमलेश्वर. नेमिचन्द्रसरि सं.प्रा.अपभ्र.: ग्रं. १२००० : वि. ११२९ :प्रणम्य विघ्नसङघात उत्तराध्ययनसत्र-सुखबोधावृत्ति उत्तराध्ययन सुखबोधा सह संपूर्ण ताडपत्र ४२५ ६६/७५(३२७) (जुनो नं. १८८१-८२/३)सूचीपत्र-नं.१-६५४./पत्र४२५+२+३-२०-४१०, पण सम्पूर्ण छे./पत्र ११३ नथी., (३३.५४१.५, ३-५४) उत्तराध्ययनसत्र सुधर्मास्वामी अध्याय ३६ ग्र. सञ्जोगाविप्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग २०९५ उत्तराध्ययनसूत्र-सुखबोधावृत्ति नेमिचन्द्रसूरि सं.,प्रा.,अपनं.: . १२००० संपूर्ण ताडपत्र उत्तराध्ययनसुत्र श्रेष्ठ वि. ११२९...प्रणम्य विघ्नसङघात.. वि. १३३२ १७५-१०(१२७ थी १३६)=१६५. सञ्जोगाविष्पमुक्कस्य ६६/७६(५६) (जुनो नं. १८८०-८१/३)सूचीपत्र-नं.१-६४५./पत्र-१७५१०=१६५., (१५४२,३-५४४५-५५) सुधर्मास्वामी प्रा. अध्याय ३६ ग्रं. संयुक्त प+ग २०१५ ! उत्तराध्ययनसूत्र श्रेष्ठ संपूर्ण ताडपत्र ६६/७६(४६) (जुनो नं. १८८०-८१/४)सूचीपत्र-नं.१-६४९. /ग्रन्थान| २३००.. (१३.५४३ ., ५४४५-५६) सधास्वामी जागाविष्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग अध्याय ३६ ग्रं. २०९५ ताडपत्र उत्तराध्ययनसुत्र श्रेष्ठ संपूर्ण वि.१३४० ६६/७६(४८) (जुनो नं. १८८०-८१/२)सूचीपत्र-नं.१-६४६.. (३२.५४१.५, ४-५४) सुधर्मास्वामी प्रा. अध्याय ३६ ग्रं. सजोगाविप्पमुक्कस्य संयुक्त प+ग *4.POR १४ शिष्यहिता-विशेषावश्यकभाष्यवृत्ति जीर्ण .. ३४४- ..........................६७/७६(२७५).....(जुनो नं. १८८०-८१/५८)सूचीपत्र-नं.१-१११२. ग्रंथ खराब

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