Book Title: Harivanshkatha Author(s): Ratanchand Bharilla Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur View full book textPage 2
________________ अभिमत प्रथम संस्करण : ५ हजार (११ मई २००३, ३७ वा आध्यात्मिक शिक्षण-प्रशिक्षण शिविर ) द्वितीय संस्करण : ५ हजार (१४ नवम्बर, २००३) तृतीय संस्करण : ३ हजार (२२ अक्टूबर, २००६, दीपावली) मूल्य : ३० रुपये श्री पण्डित रतनचन्दजी भारिल्ल द्वारा लिखित हरिवंश कथा स्वाध्यायार्थियों की आवश्यकताओं को पूर्ण करनेवाली उपयोगी और सार्थक रचना है। ढूंढारी भाषा में प्रकाशित प्रथमानुयोग के ग्रंथ और पीछे संस्कृत शब्दों के हिन्दी अर्थ सहित प्रकाशित ग्रंथ दोनों ही से स्वाध्यायार्थी पुरुष एवं महिलायें संतुष्ट नहीं थे। प्रस्तुत ग्रंथ उक्त पाठकों की रुचि और बुद्धि के अनुकूल सरल, सुबोध और आधुनिक रोचक शैली में लिखा गया है, जो अनति विस्तृत और अल्पमूल्य में उपलब्ध है। इसमें उचित संशोधन के साथ धार्मिक विषयों का समावेश भी है तथा करणानुयोग, चरणानुयोग और द्रव्यानुयोग संबंधी आवश्यक सामग्री भी रख दी गई है। वर्तमान में ऐसे ही ग्रंथों की आवश्यकता है, जिसकी पूर्ति ऐसी रचनाओं से की जा रही है। विद्वान लेखक का यह परिश्रम सराहनीय है। - वयोवृद्ध विद्वान पण्डित नाथूलाल शास्त्री, इन्दौर (संहितासूरि प्रतिष्ठाचार्य पूर्व अध्यक्ष विद्वत् परिषद् ) मुद्रक: प्रिन्ट 'ओ' लैण्ड बाईस गोदाम, जयपुरPage Navigation
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