Book Title: Haimnutan Laghu Prakriya
Author(s): Vijaychandrodaysuri, Chandrashekhar Jha
Publisher: Nemchand Melapchand Zaveri Jain Vadi Upashray Trust

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Page 645
________________ अकाराचा - ८३.. भर्तुसन्ध्यादेरण ।६।३।८९।। भर्सने पर्यायेण ।७४।९०॥ भवतः सिज्लुपि ।४।३।१२॥ भवतोरिकणीयसौ ।६।३॥३०॥ भविष्यन्ती ।५।३।४।। भविष्यन्ती स्यति स्यतसू, स्यन्ति...स्यामहे ।३।३॥१५॥ ८६. भव्यगेयजन्यरम्यापात्याप्लाव्यनवा ।५।१७॥ २४५. भ्वादेर्दादेघः ।२।१।८३॥ भवेः ।६।३।१२३॥ २६९ भावाकोः ।५।३।१८॥ २८६ भावकर्मणोः ।३।४।६८॥ भावादिमः ।६।४।२१॥ ३९१ भावे 1५।३।११२॥ २९७ भावत्वतलू ७।१५५॥ .४०६ भिक्षादेः ।६।२।१०॥ ३५३ भिदादयः ।५।३।१०८॥ भियोनवा ।४।२।९९॥ भियोरुरुकलुकम् ।५।२।७६॥ भिसू ऐस् ।१।४।२॥ भीषिभूषिचिन्ति...तोल्दिोलिभ्यः ।५।३।१०९॥ भीही होस्तिव्वत् ।३।४।५०॥ २९४ २८३

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