Book Title: Haimnutan Laghu Prakriya
Author(s): Vijaychandrodaysuri, Chandrashekhar Jha
Publisher: Nemchand Melapchand Zaveri Jain Vadi Upashray Trust

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Page 644
________________ हेमन्त बलधुत्रक्रिया बहुलम् ||५|१|२|| बहुलम् लुप् | ३ | ४|१४ ॥ बहुविध्वरस्तिलात्तुदः | ५|१|१२४ ॥ दुष्वस्त्रियाम् || ६ | १|१२४ ॥ बहुष्वेरीः | २|१|४९ ॥ बहुप्रश्नेऽतमश्व वा | ७|३|५४॥ बहोंष्ठेभूय् |७|४|४०| बहुबल्पार्थात्काराकादिष्टानिष्टेप्शस् ।७।२।१५० ।। वाढान्तिकयोः साधनेदौ | ७|४|३७|| बाहवादिभ्यो गोत्रे | ६|१|३२|| : बिढादेर्वृद्धे ।६।१।४१। ब्रह्मभ्रूण वृत्रात् क्विप् । ५ । १ । १६१।। बह्मादिभ्यः | ५|१|८५।। ब्राह्मणमाणववाऽवाद्यः | ६ |२| १६ | ब्रूगः पञ्चानां पञ्चाहश्च । ४।२।११८ ॥ ब्रूतः परादिः | ४ | ३ |६३॥ भ भक्ताण्णः | ७|१|१७॥ भजति | ६ | ३ | २०४ ॥ भनिभासिभिदोघुरः |५|२|७४ ॥ भतुतुल्यस्वरम् (((((१६सा २४१. २१५ २६० ३४९ ६३ ४५६ ४५२ ४४४ ४५१ ३३८ ३३९ २६६ २५२ ३५५ १५२ १५२ ४०३ ३७६ २८३ 986

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