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ज्ञानानन्दरत्नाकर।
बधाई ॥३॥ वाजें आनंद बधाइयां हो, नाभि नृपके द्वारे ॥ (टेक) जन्म लिया श्री आदि जिनेंद्र करन कल्याणक आये इंद्र। मेरु शिखरपरवासव जाय, प्रभुजीकान्हौन कियाहया२। कर श्रृंगार अवधि पुरल्याय,तांडव नृत्य किया सुरराय॥३॥ नाथूराम वे त्रिभुवन ईश, राजत लोक शिखरके शीस ॥॥
पद ॥१॥ वंदे चंद्र प्रभु नाथ सफल जन्म भयो मेरा ॥ (टेक) युग पद सफल भये चलते सफल भये चलते, पूनत भय युगहाथ ॥३॥लाचन सफल मुख.दरश सफल मुख दरहो, नवन करत भयो माथ ॥२॥ रसना सफल गुण गायें सफल गुण गायें, मन लगें एक साथ ॥३॥ सोजत कार्य सब भये कार्य सब भये, नाथूराम सनाथ ॥३॥
देशका सोरठा ॥३॥ स्वामी मेरा काटो करम कलेश,तुम विन हरण वृपभेशटिक) त्रिभुवन भूपणहत दुःख दूपण थारा गावें सुयश सुरेश ॥१॥ अधमोद्धारक भवोदधि तारक जनको दाता हित उपदेश२।। तुमसा दाता और न त्राता प्रभुजी ताके जाऊं पेश ॥३॥ नाथूराम जन जाचत निनधन यासे वाधा रहे न लेश ॥४॥
मल्हार ॥ ३॥ यांको श्रीगुरु शिक्षा देत भली, क्योंना चेतत चेतन प्यारे (टेक) मिथ्या तपन मिटी, दिशि प्रगटे, आनंद अम्बर