Book Title: Gyanand Ratnakar Part 02
Author(s): Nathuram Munshi
Publisher: Khemraj Krishnadas

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Page 102
________________ सूचना॥ पहिले की जोरमेरी लिखी पुस्तकें इन लावनी भजनोंकी उनमें जोरशब्द मुझे अब असुंदर जान पड़े वे यहां कोई पलट दिये हैं जिस से अब इन्हींके अनुसार बदल लेना चा हिये क्योकि हर किसीकार्यके प्रारंभमें जोक की बुद्धिहो तीहै वह कार्य करतेरभजजाती है तब उसीको अपना पहि ला काम कुछ कुटुंगा दीखने लगता है इससे शब्द बद लनमें कुछ बुराई न जानना ।।

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