Book Title: Gurumurti Pratishtha Vidhi
Author(s): Mangalsagar
Publisher: Jinduttsuri Gyanbhandar

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरुमूर्ति अभिषेक Pepperrezzaerence ९ प्रथम वर्गाष्टक स्नात्रम्-प्रियङ्गु-दुर्वामधुयष्टिकर्धि-कुष्ठादि श्रेष्ठौषधिनीरपूरैः। रोगापहृत्यै सुगुरूत्तमानां प्रक्षालयामीह पदं पदार्थी ॥९॥ १० द्वितीय वर्गाष्टक स्नात्रम्-सत्क्षीर ककोलकमेदभेद-वर्गाष्टकोद्भावित-जावनेन । स्वजीवनोद्धारकृते गुरूणां, प्रक्षालयामीह पदं पदार्थी ॥१०॥ ११ सौंषधि स्नात्रम्-जातीफलै-लौत्तम-जातिपत्रा-वचाहरिद्रा-सकलौषधैश्च । तेजस्वितायै सुगुरुत्तमानां-प्रक्षालयामीह पदं पदार्थी ॥११॥ १२ कुसुम स्नात्रम्-स्फूर्जत्सुगन्धैः कुसुमैः सुपूताम्भसा रसेनात्म-रसोदयाय । रसारसाधार-गुरुत्तमानां, प्रक्षाळयामीह पदं पदार्थी ॥१२॥ १३-सुगन्धि स्नात्रम्-कस्तूरिका-केसर-चन्दनोद्यत्सुगन्धि-सद्व्यभृतामृतेन । स्त्रीयामृतायैव गुरूत्तमानां-प्रक्षालयामीह पदं पदार्थी ॥१३॥ १४ वासक्षेप स्नात्रम्-कर्पूरसच्चन्दनचारुवास-क्षेपाभिरामेण जलेन नित्यम् । स्वकीयजाड्य-क्षतये गुरूणां-प्रक्षालयामीह पदं पदार्थी ॥१४॥ १५ चन्दन स्नात्रम्-सुगन्धि-सचन्दन-कल्क-चारू-दकेन ताप-क्षतये समन्तात् । अपापतापात्म-गुरूत्तमानां-प्रक्षाळयामीह पदं पदार्थी ॥१५॥ Reporncreepepeper For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36