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गुरुमूर्ति
अभिषेक
Pepperrezzaerence
९ प्रथम वर्गाष्टक स्नात्रम्-प्रियङ्गु-दुर्वामधुयष्टिकर्धि-कुष्ठादि श्रेष्ठौषधिनीरपूरैः।
रोगापहृत्यै सुगुरूत्तमानां प्रक्षालयामीह पदं पदार्थी ॥९॥ १० द्वितीय वर्गाष्टक स्नात्रम्-सत्क्षीर ककोलकमेदभेद-वर्गाष्टकोद्भावित-जावनेन ।
स्वजीवनोद्धारकृते गुरूणां, प्रक्षालयामीह पदं पदार्थी ॥१०॥ ११ सौंषधि स्नात्रम्-जातीफलै-लौत्तम-जातिपत्रा-वचाहरिद्रा-सकलौषधैश्च ।
तेजस्वितायै सुगुरुत्तमानां-प्रक्षालयामीह पदं पदार्थी ॥११॥ १२ कुसुम स्नात्रम्-स्फूर्जत्सुगन्धैः कुसुमैः सुपूताम्भसा रसेनात्म-रसोदयाय ।
रसारसाधार-गुरुत्तमानां, प्रक्षाळयामीह पदं पदार्थी ॥१२॥ १३-सुगन्धि स्नात्रम्-कस्तूरिका-केसर-चन्दनोद्यत्सुगन्धि-सद्व्यभृतामृतेन ।
स्त्रीयामृतायैव गुरूत्तमानां-प्रक्षालयामीह पदं पदार्थी ॥१३॥ १४ वासक्षेप स्नात्रम्-कर्पूरसच्चन्दनचारुवास-क्षेपाभिरामेण जलेन नित्यम् ।
स्वकीयजाड्य-क्षतये गुरूणां-प्रक्षालयामीह पदं पदार्थी ॥१४॥ १५ चन्दन स्नात्रम्-सुगन्धि-सचन्दन-कल्क-चारू-दकेन ताप-क्षतये समन्तात् ।
अपापतापात्म-गुरूत्तमानां-प्रक्षाळयामीह पदं पदार्थी ॥१५॥
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