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गुरुमूर्ति
॥ १० ॥
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२ हिरण्योदक स्नात्रम् — तीर्थाम्बु- गन्धोत्तमपुष्पपूत - सुवर्णचूर्णामळ - वारिणाहम् । सुवर्णसिद्ध्यै सुगुरुत्तमानां प्रक्षालयामीह पदं पदार्थी ॥ २ ॥ ३ पञ्चरत्न स्नात्रम् - सुगन्धि - पुष्पाञ्चित - रत्नचूर्णाधिवासिवर्णोज्ज्वळ - वारिणा वै । सुरत्न - सिद्ध्यै सुगुरूत्तमानां प्रक्षालयामीह पदं पदार्थों ॥ ३ ॥
४ कषाय स्नात्रम् — उदुम्बर - प्लक्षशिरीष- बोधि- दुमाङ्ग - छल्ल्यादि - कषायभावैः । कपाय - मोक्षाय गुरूत्तमानां प्रक्षालयामीह पदं पदार्थी ॥ ४ ॥
५ मृत्तिका स्नात्रम् - सरः सरित्सङ्गम - पर्वतादि - सुतीर्थभूमृद्भिरिहाद्भुताभिः । रजोनिवृत्यै सुगुरूत्तमानां प्रक्षाळयामीह पदं पदार्थी ॥ ५ ॥ ६ पञ्चगव्य स्नात्रम् — पयोदधि - स्वाज्य - पवित्रितैस्तै, - सुपञ्चगव्यैश्च सुदर्भपूतैः । पवित्रताय सुगुरूत्तमानां प्रक्षाळयामीह पदं पदार्थी ॥ ६ ॥ ७ सदौषधिवग स्नात्रम् - वळा - कुमारी - सहदेविकामिः सदौषधिस्फार-बलोत्कटाभिः । बलप्रवृद्ध्यै सुगुरूत्तमानां प्रक्षालयामीह पदं पदार्थी ॥ ७ ॥ ८ मूलिका स्नात्रम् - अकोल्लसल्लक्ष्मण शङ्खपुष्पी - सन्मूलिकाभिश्च रसोत्तमाभिः । समूल - शुद्ध्यै सुगुरूत्तमानां प्रक्षालयामीह पदं पदार्थी ॥ ८ ॥
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अभिषक
11 20 11