Book Title: Gurumurti Pratishtha Vidhi
Author(s): Mangalsagar
Publisher: Jinduttsuri Gyanbhandar

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Page 27
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अष्टमङ्गल पूजन ९ केतुमन्त्र-ॐ नमो केतवे पञ्चवर्णाय सायुधाय सवाहनाय सपरिकराय अस्मिन् जम्बुद्वीपे दक्षिणाई भरतक्षेत्रे | अमुक नगरे अमुक जिनचैत्ये अमुक पूजामहोत्सवे अमुकाराधिते अत्रागच्छ अत्रागच्छ सावधानीभूय बलिं गृहाण बलिं गृहाण जलं गृहाण चंदनं गृहाण पुष्पं गृहाण धूपं गृहाण दीपं गृहाण अक्षतं गृहाण नैवेद्यं गृहाण फलं गृहाण सर्वोपचारान्मुद्रां गृहाण अत्रपीठे तिष्ट तिष्ठ ठः ठः उदयं अभ्युदयं कुरु कुरु स्वाहा । "ॐ केतवे नमः" ॥९॥ ( यह मन्त्र पढकर केतुग्रह पर पान चढावें । ) | तथा-स्नात्रकारक एक पाटे पर अष्टमंगल लिखे यथा-स्वस्तिक १, श्रीवत्स २, कुम्भ ३, भद्रासन ४, नंदावर्त ५, वर्द्धमान ६, दर्पण ७, मत्स्ययुगल ८ । | अष्टमंगल पूजन मंत्र-ॐ अहं स्वस्तिक-श्रीवत्स-कुम्भ-भद्रासन-नद्वावर्त-वद्धमान-दर्पण-मत्स्ययुग्माना अत्र महोत्सवे सुस्थापितानि सुपतिष्ठानि अधिवासितानि लं लं लं हों नमः स्वाहा ॥ इति ॥ (दशदिग्पाल-नवग्रहों की स्थापना-पूजा करने के बाद अष्टमङ्गल पूजन करे। बाद दख दिग्पालों को बलिवाकुल शुद्ध स्थान पर निम्न श्लोक बोल कर चढाना चाहिये। बलिवाकुल वासक्षेप मन्त्रॐ हा ही सर्वोपद्रवं बिम्बस्य रक्ष रक्ष स्वाहा । ॐ णमो अरिहंताणं । ॐ णमो सिद्धाणं । ॐ णमो आयरियाणं । ॐ णमो उवज्झायाण । ॐ णमो लोए सव्वसाहूणं । ॐ णमो आगासगामीणं । ॐ णमो चारण 10 लद्धीणं । जे इमे किण्णर-किंपुरिस-महोरंग-गरुड-गंधव्व-जक्ख-रक्खस-पिसाय-भूय-डाइणिप्पभइओ जिणघरणिवासिणो। Deceeroecoerezareezzrecrezcom ॥ २३ ॥ For Private and Personal Use Only

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