Book Title: Gujaratioe Hindi Sahityama Aapel Falo
Author(s): Dahyabhai Pitambardas Derasari
Publisher: Gujarat Varnacular Society Ahmedabad

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Page 47
________________ त्या पासून तूझा रोग, जाउन होइल सुख, सांगीतली तुला गोष्ट, ही मी बरी न्यायाचील.७६-१६॥ * (मारवाडण सखी) मांको थें केणो न माने, थांको हियो थरु वे ना, बोल जको कांई थाने, हुवो एडो दुखडो। हाथां जोडी कांछां थाने, कांइ थे चिंता करांछां, जको माडू जेडो आज, वे नां थारो मुखडो। प्रवीण रायांरी बेटी, मति करो एडी बातां, इशो किये थांने अठे, उपजे न सुखडो। मोकलो वे धन थारे, लोंबडी लाखांरी थारी, सोना जिशो चंगो थारो, वडो वे झरुखड़ो |ल.७६-१७॥ (मथुरी सखी) जाहिको या जगतमें, जाहिरहे "जयपुर", भाग्यको "उदयपुर", भलो जाको आज है / जाहिकी सेनामें शस्त्रधारी जन “जोधपुरे", भंडार "भरतपुर" सुरको समाज है। जाकी खग्ग “धारापुरी", "उजयिनी" ओपती है, “लख नूर" पूर डरें शत्रुको समाज है / "आ गरे” की सोहे कहो, काहे तुं बे " दीली" रखे, एसो तेरो पिता नीतिपाल महाराज.ब.७६-१८॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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