Book Title: Gujaratioe Hindi Sahityama Aapel Falo
Author(s): Dahyabhai Pitambardas Derasari
Publisher: Gujarat Varnacular Society Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 53
________________ હતા. તેઓ ઉત્કૃષ્ટ કવિ હતા. એમણે વ્રજભાષામાં ઘણું પુસ્તક લખ્યાં છે. (१) कामदहनः-40 अंथमा ओभरे वसंत ऋतुनु वर्णन म સારું કરેલું છે. કાવ્યના અંતમાં કવિ લખે છે– मदन कदन संपत सदन, पंचवदन सुखधाम; दास खास रणछोडको, अमर रखिये नाम. १ (२) शिव विवाहः-मेमा शिव विवाह भने “ दक्षयज्ञ भंग." નું વર્ણન છે. सांई रुठ्यो देत, दुर्बुद्रि अभिमान पद; चेतरि चेत अचेत, प्रगट हनै नहि दंडसों. १ (३) शंखचुडाख्यानः तोलयो बार हजार, चतुर बुद्धि बाजार में; समता पायो जार, नेक एक पेंजारसों. १ राम रहे न, रहे घनशाम न, कामकि लोक कहानि कहेरी; शुंभ निशुभ गये जगसों, बलिराजको राज न कोउ लहेरी; .. रावन लंक तजी सत भावन, गावनकों अब गाथ गहेरी; दाम रहे नहि, धाम रहे नहि, नाम सदा रणछोड रहेरी. १. (४) त्रिपुराख्यान (५) कालखंज आख्यान (६) मोहनी छल એમાં સમુદ્ર-મંથનનું અને મોહિની રૂપનું વર્ણન કર્યું છે. એમાં એક દેહરે નીચે મુજબ છે – नेहि किये, सिरपर लिये, खल संधीसे दूर । कुटिल अलक तूटे ज्युकच, संधी न होय जरुर ॥ (७) श्रामगुनी यारासी नातीना नामानु आव्य. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72