Book Title: Gopachal ka Ek Vismrut Mahakavi Raidhu Author(s): Rajaram Jain Publisher: Z_Tirthankar_Mahavir_Smruti_Granth_012001.pdf View full book textPage 3
________________ (ग) अध्यात्म एवं अन्य साहित्य जिनमें समकालीन राजा, नगरसेठ, पूर्ववर्ती एवं (20) सोलहकारण जयमाला (27 पद्य); समकालीन साहित्य एवं साहित्यकार तथा अन्य राजनैतिक, सामाजिक एवं धार्मिक परिस्थितियों पर (21) दहलक्खणजयमाला (11 पद्य); (22) बारा सुन्दर प्रकाश डाला है। इन प्रशस्तियों में गोपाचल भावना (हिन्दी, 37 पद्य) ।। के मध्यकालीन इतिहास एवं संस्कृति की प्रचर अन्य ग्रन्थ अनुपलब्ध हैं। उक्त ग्रन्थों में से क्रमांक प्रामाणिक सामग्री उपलब्ध होती है। 8 एवं 9 के ग्रन्थ सचित्र हैं और मध्यकालीन चित्रकला राजाओं में कवि ने समकालीन तोमरवंशी राजा के अद्भुत उदाहरण हैं । उपर्युक्त समस्त साहित्य डूंगर सिंह, कीतिसिंह एवं प्रतापरुद्र चौहान के उल्लेख अद्यावधि अप्रकाशित है। करते हुए उनका विस्तृत परिचय एवं कार्यकलापों का सुन्दर वर्णन किया है। कवि के अनुसार उक्त तीनों रइधू-साहित्य को विशेषताएँ प्रशस्तियाँ राजा शूरवीर एवं पराक्रमी होने के साथ-साथ सर्व धर्म रइधु-साहित्य की सर्वप्रथम विशेषता उसकी समन्वयी एवं साहित्य तथा कला-रसिक थे। गोपाचल विस्तृत प्रशस्तियाँ हैं । कवि ने अपने प्रायः प्रत्येक ग्रन्थ दुर्ग में डूंगरसिंह एवं कीतिसिंह ने राज्य की ओर से के आदि एवं अन्त में विस्तृत प्रशस्तियाँ अंकित की हैं, श्रेष्ठ मूर्तिकला के विशेषज्ञों को निमन्त्रित कर लगातार पिसाबsamARRIISTRविदिमिरमालाराममायाकारयामजस्वाला उसमयागावरुदावालटाकारितोरिकवि मारियासराव बालस्वारागिरिबबानिकायबायोमबाहामा माणतिबदडवर पालामामाHिETराजबिपिछ कक्षा जसहरचरिउ (मौसमावाद प्रति); सन्दर्भ- राजा यशोधर अपने मनोरंजन ग्रह में 5. सचित्र ग्रन्थों के परिचय की जानकारी हेतु हमारे द्वारा लिखित विस्तृत निबन्धों के लिए देखिए-जैन सिद्धान्त भास्कर (आरा) 25/2/62-69 (सचित्र जसहरचरिउ के लिए) अनुसन्धान-पत्रिका (जन०. मार्च) 1973) प्रवेशांक पृ० 50-57, (सचित्र पासणाहचरित्र के लिए) तथा र इधू सा० का आ० परि० पृष्ठ 551-552 (सचित्र सतिणाह चरिउ के लिए)। 6. रइधू सा० का आ० परि० पृ० 95-116 ३०७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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