Book Title: Gathasaptashati
Author(s): Nathuram Shastri
Publisher: Pandurang Javji

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Page 8
________________ ७११८ गाथानुक्रमणिका। ईसं जणेन्ति (माहवसेणस्स) ४।२७) एक चिअ रूअगुणं . ६१९२ ईसामच्छररहिएहिँ ६६ । एकं पहरुविण्णं (पैहईए) ११८६ ईसालुओ पई (अरिकेसरिस्स) २१५९ एकल्लमओ दिट्ठी उअ लहिउण ५।९० एकेकभवइवेठण (अरिकेसरिणो) ३।२० उअ ओल्लिजइ ७४० एक्केण वि वडवी । ७७० उअगअचउत्थि ७४४ एक्को पहुँअइ थणो (हालस्स) ५।९ उअ णिचल (वोदिसस्स) १४ एक्को वि कालसारो (कालसारस्स) १२५ उअ पोम्मराअ १७५/ एण्हि वारेइ जणो (सिरिसुन्दरस्स) ७।९६ उरि हरदिट्ट (पवरसेणस्स) ११६४ एत्ताइचिअ मोहं . (भोजअस्स) ५।१०. उअ संभमविक्खित्तं | एत्थ चउत्थं विरमइ ४।१०१ उअ सिन्धवपव्व ७७९ / एत्थ णिमजइ उअह तरुकोडराओ ६।६२एत्थ मए रमिअव्वं (गुणमन्दिअस्स) ४।५८ उअह पडलन्तरो (पालितस्स) ११६३ | एहमेत्तम्मि जए (सिरिराअस्स) ४।३ उक्खिप्पड़ (हालस्स) २।२० / एदहमेत्ते गामे ६५३ उज्जागरअकसाइअ ५/८२ | एसो मामि जुवाणो (मन्दसुअणस्स) ३।९४ उज्जुअरए ण तूसइ ५।७६ | एह इमीअ णिअच्छह ६७९ उज्झसि पिआइ (ईसाणस्स) ३७५, एहइ सो विपउत्थो (सिरिधम्मअस्स) १११७ उद्वन्तमहारम्भे (मत्तगइन्दस्स) ४१८२ | एहि त्ति वाहरन्तम्मि उपहाइँ णीससन्तो (अणङ्गस्स) १।३३ / एहिसि तुमं त्ति (अहस्स) ४८५ उद्धच्छो पिअइ (भाड्डअस्स) २१६१ | ओसरइ धुणइ साहं ६३१ उप्पण्णत्थे कजे (माणइन्दस्स) ३।१४ | ओसहिअजणो (मन्दरस्स) ४।४६ उप्पहपहाविहजणो ६३५, ओ हिअअ ओहि ५।३७ उप्पाइअदव्वाणं (पालितस्स) ३।४८ ओ हिअअ मडह (महाएवस्स) २१५ उपपेक्खागअ (विस[म सेणस्स) ४।३९ ओहिदिअहागमा (पुण्णभोजअस्स) ३।६ उप्फुल्लिआइ (वच्छस्स) २१९६ कण्डन्तेण अकण्डं १६३ उम्मूलेन्ति व (विजयगइ[णो]) २१४६ कण्डुजुआ (कअलीहरस्स) ४.५२ उल्लावन्तेण ण होइ ६।३६ कत्थ गअं रइबिम्ब ५।३५ उल्लावो मा दिजउ ६।१४ कं तुङ्गथणु (पालितस्स) ३५६ उव्वहइ णवतण | कमलं मुअन्त ४१ एएण चिअ (कड्डिल्लस्स) ५।४ । कमलाअरा ण (मिअङ्कस्स) २०१० एककमपणिरक्खण ७१ करमरि कीस ण ६।२७ एकक्कमसंदेसा (......) ४।४२ ) करिमरि अआल (मअरन्दस्स) १।५५ - १ 'वोदितस्य' वे २. 'पालितस्य' वे. ३. 'प्रहताया वे. For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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