Book Title: Gathasaptashati Author(s): Nathuram Shastri Publisher: Pandurang Javji View full book textPage 9
________________ ४ कुरुणाहो व्वि लद्दन्तरेव कलं किर खर कस्स करो वहु ६।७५ कस्स भरिसित्ति (सुरहिवच्छस्स ) ४।८९ कहँ णाम तीअ ( सवरसत्तिस्स ) ? ३।६८ कहूँ मे परिणइआले ६।६८ कहँ सा णिव्व (पव्व अकुमारस्स) ३१७१ हँसा सोहग्गगुणं ५/५२ हँसो कह तंपि तुइण कारिममाणन्दवड किं किं दे किं ण भणिओ सि किं दाव कआ किं भणह मं सहीओ किं रुअसि किं स्वसि किं अ कीरन्ती व्विअ कीर मुहसच्छ कुसुममआ वि के उव्वरिआ के केण मणे भग्ग केत्तिअमेत्तं होहि केलीअ वि रूसे केसररअ कैवरहि कोत्थ जअम्मि काव्यमाला । ५।४३ | खन्धग्गणा (हालस्स) ४।२१ ( निप्पेटस ) ११४६ |खर सिप्पिर Jain Education International (सेहणाअस्स) ७१९७ ५।५७ | ( ग असिंहस्स) १।१५ ( सङ्करस्य) ५।१३ गअवहुवेहव्वअरो ( वराहस्स ) ४।७० ( महिन्दरस ) १९ ६।१६ ( सरलस्स) ३।७२ १।७७ ६१८३ (पसण्णस्स ) ४।३० ७१६२ खाणेण अ पाण खिष्णस्स उरे ( अवन्ति वम्मस्स ) ३।९९ खिप्पइ हारो ५/२९ खेमं कन्तो खेमं ५/९९ (कइराअस्स) ३।५८ (गन्धराअस्स) २।२१ ७३० (मिअङ्कस्स) २1११ खरपवणर अगल गम्मिहिसि तस्स (रेवा ए) १।९० | गरुअछुहाउलि ७।१७ गहवइ गओ गअकलहकुम्भ गअगण्डत्थल गज महं चिअ गन्धं अग्घाअन्तअ गन्धेण अप्पणी गहवइणा गहवइसुओ गामङ्गणणिअडि ( सूरणस्स ) ४।८ गामणिघरम्मि अत्ता ( हालस्स) ४।२६ गामणिणो सव्वासु ५।७४ | गामतरुणिओ (रामस्स) २।२४ ( विलासस्स ) ४६४ गामवडस्स ६।८१ गिज्जन्ते मङ्गल (पावच्छीलस्स) २।९५ | गिले दवग्गि ( गजस्स) १।१९ ६।५१ (अहअस्स) ४।३४ ( हरित उस्स) २/१०० कोसम्बकिसल ७१९ ५३९६. खणभङ्गुरेण पेम्मेण खणमेत्तं पिण ( हालस्स) २।८३ | गोलाअडट्ठिअं (अॅविअकणस्स) १।७ १. ‘लम्पस्य' वे. २. 'विनयायितस्य' वे. ३. 'अनुरागस्य' वे. ४ 'अलिकस्य' वे. ६६६ ६।६५ (विअहस्स) ३।८१ ७७ ४१८३ (विअड्डइन्दस्स) ३।९७ (सच्चसामिणो) २।७२ (हालस्स) ४|५९ ६०५६ ४८७ | गिरसोत्तो त्ति अच्छलेण गेहह पलोअह गेहं व वित्तरहिअं ५/२३ गतक्खलणं सोऊण For Private & Personal Use Only ५।६९ ५/४९ ६।४५ (खण्डस) ३।९५ ७१४२ (वैद्धावहीए ? ) १।७० www.jainelibrary.orgPage Navigation
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