Book Title: Gathasaptashati
Author(s): Nathuram Shastri
Publisher: Pandurang Javji

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ काव्यमाला। ७.६५ दे सुअणु पसिअ ५।६६ | परिमलणसुहा ५।२८ दोअङ्गुलअकवाल ७२० परिरद्धकणअ ४।९८ धण्णा ता महि (मलअसेहरस्स) ४.९७ परिहूएण (विकमराअस्स) २१३४ धण्णा बहिरा ९५ पसिअ पिए (कुविन्दस्स) ४१८४ धण्णा वसन्ति १३५ | पसुवइणो (हालस्स) १११ धरिओ धरिओ (माणस्स) २।१ पहरवणमग्ग (अङ्गराअस्स) १।३१ धवलो जिअ ७॥३८ पहिअवहू विवरन्तर ६.४० धवलो सि जइ पहिउल्लूरण (अहराअस्स) २०६६ धाराधुव्वन्तमुहा ६।६३ पाअडिअं सोहग्गं . ५।६० धावइ पुरओ पासेसु ५।५६ पाअडिअणेह (मणिराअस्स) २।९९ धावइ विअलिअ (माऊराअस्स) ३।९१ पाअपडणाण मुद्धे ५।६५ धीरावलम्बिरीअ (वाहवस्स) ४।६७ पाअपडिअं ___(हालस्स) ४९० धुअइ व्य (विसमराअस्स) ३८० | पाअपडिअस्स (दुग्गसामिणो) १।११ धूलिमइलो वि पाअपडिओ ण पइपुरओ बिअ (मल्लसेणस्स) ३।३७ पाणउडीअ वि __ (हालस्स) ३१२७ पउरजुवणो (हालस्स) २।९७ पाणिग्गहणे (अणुराअस्स) १।६९ पङ्कमइलेण छीरेक ६।६७ / पासासकी (भोजअस्स) ३१५ पचग्गप्फुल्ल ६।९० पिअदंसण (वसन्तसेणस्स) ४१२३ पञ्चूसमऊहावलि ७४ | पिअसंभरण (बम्हआरिणो) ३।२२ पञ्चूसागअ रञ्जित ७।५३ पिअविरहो (वैसुआरिणो) १।२४ पञ्जरसारिं अत्ता ण ६।५२ पिज्जइ कण्णज ७७६ पडिवक्ख (उद्धवस्स) ३६० पिसुणेन्ति कामिणीणं पढमं वामण विहिणा ५।२५ पुच्छिजन्ती ण ७/४७ पढमणिलीणमहुर ५।९५ | पुडिं पुससु (पण्डिणो) ४.१३ पणअकुविण (कुमारस्स) १।२७ पुणरुत्तकरप्फालण ६.४८ पत्तणिअम्बप्फंसा ६५५ पुसइ खणं धुवइ ५।३३ पत्तिअ ण पत्तिअन्ती (पवरसेणस्स) ३।१६ | पुसउ मुहं ता ७१८१ पत्तो छणो ण (कालइवस्स) १।६८ पुसिआ अण्णा (कलसगन्धस्स) ४।२ पप्फुल्लघणकलम्बा ७३६ पेच्छइ अलद्ध (विअड्डइन्दस्स) ३२९६ परिओसवि (जीअएवस्स) ४।४१ पेच्छन्ति अणिमिस(सुरहिवच्छस्स) ४१८८ परिओससुन्दराई ७।६८ | पेम्मस्स विरो (म्महस्स) ११५३ १. 'कालाधिपस्य' वे. २. 'सिरिराअस्य वे. ३. 'ब्रह्मचारिणः' वे. ४. 'मन्मथस्य' वे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 446