Book Title: Gathasaptashati
Author(s): Nathuram Shastri
Publisher: Pandurang Javji

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Page 11
________________ काव्यमाला । रेप ६.२० जो सीसम्मि ४।७२ / णिअवक्खारोवि ५।४२ झञ्झावाउत्तिणिअघर (जअसेगस्स) २१७० णिकण्ड दुरारोहं ५।६८ झञ्झावाउत्तणिए (राअहत्थिणो) ४।१५ णिक्कम्माहिं (पुण्डरीअस्स) २१६९ ठाणब्भठ्ठा परि ___७१५२ णिकिव जाआ (हरिआलस्स) १३० डज्झसि डज्झसु (हालस्स) ५।१ । णि लहन्ति कहिअं (देवएवस्स) ५।१८ अ दिढेि गेइ ४५ णिद्दाभङ्गो (हालस्स) ४७४ अणब्भन्तर (हालस्स) ४।७१ णिहालस (हालस्स) २१४८ 'गइरस (पवणराअस्स) १।४५ णिप्पच्छिमाइं (सिरिवलस्स) २१४ ण कुणन्तो विअ (अद्धराअस्स) १।२६ णिप्पण्णसस्सरि ७८९ णक्खक्खुडिअं (महाराअस्स) ४।३१ णिव्युत्तरआ (सढुणकलसस्स) २०५५ ण गुणेण (समरिणसस्स) ४।१० ६.८९ गच्चणसलाहणणि (गुवरस्स?) २।१४ णीआई अज (धणंजअस्स) ४।२८ ण छिवइ हत्थेण ३२ णीलपडपाउअङ्गी णन्दन्तु सुरअसुह (हालस्स) २।५६ । णीसासुकम्पिअ (रोलएवस्स) ४।६१ ण मुअन्ति (हालस्स) २०४७ | Yणं हिअअ (महाएवस्स) ४।३७ णलणीसु भमसि ७।१९ णूमेन्ति जे पहुत्तं (माधवीए) १९९१ शवकम्मिएण ७९२ णेटरकोडि (अणङ्गस्स) २१८८ णवपल्लवं विसण्या ६८५ | गोहलिअमप्पणो (मअरन्दसेनस्स) ११६ णवलअपहरं (प्पणामस्स) १।२८ तइआ कअग्घ (माअङ्गस्स) १९२ णववहुपेम्म (कण्णउत्तस्स) २।२२ तइ बोलन्ते (हालस्स) ३।२३ ण विणा सब्भावेण (भोजअस्स) ३।८६ | तइ सुहअ (मणोरहस्स) ४।३८ ण वि तह अइ गरुएण ५।८३ तडविणिहिअग्ग (हालस्स) ४१९१ ण वि तह अणालवन्ती तडसंठिअ (माणस्स) २।२ 'ण वि तह छेअ (अणुलच्छीए) ३।७४ | तणुएण वि (भाउलस्स) ४१६२ ण वि तह पढम (भाणुसत्तिणो) ३१९ तं णमह जस्स (णिर्कलङ्कस्स) २।५१ ण वि तह विएस ११७६ / तत्तो चिअ होन्ति ૪૮ णासं व सा कवोले (सामिअस्स) १।९६ | तं मित्तं काअव्वं (पालितस्स) ३।१७ याहं दूई ण (असुलद्धीए)? २१७८ तम्मिरपसरिअहु ६।८८ णिअअणुमाण (केलासस्स) ४।४५ तस्स अ सोहग्ग (मअरद्धअस्स) ३।३१ णिअधणि ६५८२ | तस्स कहाकण्टइए ७५९ १. 'प्रवरराजस्व' वे. २. 'वुरस्य(?) वे. ३. 'प्राणामस्य थे. ४. 'भीमविक्रमस्य वे. ५. 'स्थिरसाहसस्य' वे. ६. 'शालिकस्य' वे. ७. 'गजरेवस्य' वे. ८. 'कलङ्कास्य' वे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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