Book Title: Epigraphia Indica Vol 27
Author(s): Hirananda Shastri
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 414
________________ No.49] KHANAPUR PLATES OF MADHAVAVARMAN 317 4 hण स्वयमिन्द्रस्य चातुर्वर्ण'चातुराश्रम्यधर्मकर्मसे तो]महा5 राजश्रि(श्री)माधववर्मणो मतिरुत्पन्ना पात्रभूताभ्यां ब्राह्म .6 णप्रवराभ्यां य[ज नयाजनाध्ययनाध्यापनदानप्रतिग्रहाया' 7 श्रुतिस्मृतिविहितसनातनधर्मक[म्म]निरताय द्विवेदनि (ग) हि(ही)तसहस्रशालकायन8 [सगोत्रछ (च्छ)न्दोगबोलस्वामिन(ने) ता (भा) रद्वाजसगोत्रद्विवेदो (दा) हार*]णल[ता]ति' 9 . 'केशवस्वामिने च चतु (तुःषष्टि 10 - [दत्त] चतुर्गुण भाग. . . . 'कसंवतः बा.... Second Plate ; Second Side 11 .. 'दानप्रभृति स[+] . . . . . . . 12 · · भोगे योजनाद्दक्षिणतः पूर्वोत्तरेण मछ[दा देव 13 भिा सेणवा पूर्व[तः] दक्षिण भागे कोलिकानामग्रामः पश्चिमे14 न मलखेटकनामग्रामः हेतेषु मध्ये षट्कर्महैतुक"यज्णा (ज्ञा)चस्व15 [[]पवर्गसिध्यर्थ" वाटिकामिः सहितं निविश्यते[*] कृष्णबेणापूर्व16 दक्षिणतः रेट्टरकं नाम ग्रामः । वंकति (ती) तथा तंबतीर्थ (य) कद17 बतीर्थ बेलवाटिका कोलिकावाटिका बट्टरिका सर्वादानविशुधमताभिर्वाटि 1 Read चातुर्वर्ण्य-- See Varttiki on Pahini V, I, 124. • This has an extra prong. • Read प्रतिग्रह-[Better प्रतिग्रहाय-Ed.] · [This letter books like fes which may be corrected into F4-Ed.] • द्विवेवगृहीत like द्विवेदाहरण in 1. 8, seems to convey the donee's proficieney in two Vedas. • This and three expressions further on in lines 9 and 10 are unintelligible to us. This akshara is written above the line. [The reading is percutat: -Ed.) • The name of the bhoga or territorial division is lost. • Read एतेषां. • Read हेतुक Road fe ddhya .

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