Book Title: Epigraphia Indica Vol 27
Author(s): Hirananda Shastri
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 421
________________ 324 EPIGRAPHIA INDICA [Vol. XXVI Second Plate : First Side. । स्यां पत्तनखबिर पतलप्रतिष्ठितभी (श्री) मदीशानेश्वरभट्टारकाय ।' ब. 12 ली(लि)चरुनिवेद्यसत्रनृत्तवावित्रखण्डस्फुटितस (सं) स्कारार्थ द्वैतवनी-' 13 यथी (श्री) मत्पञ्चयज्ञ'तपोवनविनिर्गतञ्च (च? )पलगोचरिणः भगवच्छि (च्छी-) 1 प्रमथाचार्यशिष्यथी (श्री) शूलपाणिभगवत्पादप्रार्थनया मातापित्रो15 र(रा) त्मनश्च पुण्याभिवृ(व)द्धये समक (का) लोपभोगार्थमाचण्द्रतारकार्क' पय:*. 16 पु(पू) व (4) कं ताम्ब (म्र) शासनेन प्रतिपादितो यतोवगत्य समुचितभोगभागादिक Second Plate : Second Side 17 मुपनयन्तो भवन्तः सुखं प्रतिवसन्तु ॥ भाविनश्च भूमिपाला नुबि (दि-) 18 श्येदमभिधीयते भूमिप्रदा दिवि ललन्ति पतन्ति हन्त हत्वा महि 19 नृपतयो नरके नृत्सा':[1*] एतन (६)यं परिकलय्य चलाञ्चल्लक्ष्मि (लक्ष्मी) मायुस्त20 याकुरुत यद्भवतामभि (भी)ष्टम्*ि] [*] अपि च रक्षापालन[त्य]वत्फलं सुग21 तिदुर्गति (ती) [*] को न (ना)म स्वर्गमुत्सृज्य नरकं प्रतिपद्यते ॥ म्या (व्या) सगि(गी)22 ताञ्च (तांश्चा)त्र श्लोकानुदाहरन्ति । अग्नेरपत्य (त्यं) प्रथ[मं] सुवर्ण भूई (व्व). 23 णवि (वी) सुय (सूर्य) सुताश्च गाव[*] दत्तास्त्रयस्तेन भवन्ति लोका · यः काञ्चनं गाञ्च म24 हिञ्च दद्यात् । षष्टिम्ब (ष्टि वर्ष सहस्राणि स्वार्गे मोवति भ(भू) मिदः [*] म(मा) च्छेत्ता चा Third Plate 25 मुमन्ता च तान्येव नरके वसेत् । बहुभिर्व () सुधा दत्ता राजभि :*] सगरादि भूमिस्तस्य तस्य तदा फलं (लम्) [*] स्वदत्ता (ता) 29 भि:*] यस्य यस्य यदा परदत्ताम्बा (त्तां वा)य Thin dunda is not necessary. . The ansarira meant to be over rtha is slightly misplaced, being nearer to the next letter,doai. • The downward stroke to the right of i is missing here as in räjrah of I. 4. • Better read chandra-larak-arkka-samakal-opabhiig-artham. • The à sign of là has not come out in the impression. • The impression does not show the dot of the 1 sign in dhi. The original does have it, though very shallow. Instend of nritsah read nrihainsah. . Instead of Ryavat=pha read yos=lavat=phao • The à sign of ttä as well as of ra has not come out in the impression. 1. The impression shows it to be bhi. The dot is not to be seen in the original.

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