Book Title: Dimond Diary
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 14
________________ य । न मनुष्य का जीवन बाहर अंधेरे से भरा हुआ है, लेकिन भीतर प्रकाश की कोई सीमा नहीं है। मनुष्य के जीवन की बाहर की परिधि पर मृत्यु है, लेकिन भीतर अमृत का सागर है। मनुष्य के जीवन के बाहर बंधन हैं, लेकिन भीतर मुक्ति है। और जो एक बार भीतर के आनंद को, आलोक को, अमृत को, मुक्ति को जान लेता है, उसके बाहर भी फिर बंधन, अंधकार नहीं रह जाते हैं। हम भीतर से अपरिचित हैं तभी तक जीवन एक अज्ञान है। परमात्म भक्ति-ध्यान भीतर से परिचित होने की प्रक्रिया है। परमात्मा भक्तिधान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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