Book Title: Dimond Diary
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 34
________________ ॥ न मे मृत्युः कुतो भीतिर्न मे व्याधिः कुतो व्यथा ? ।। न ऊँची, न नीची * 24 Jain Education International अरुपी और अमर बनी हुई आत्मा न तो उच्च होती है, न ही वह नीच होती है। वहां पर स्पृश्य-अस्पृश्य का भेद नहीं है। वहां पर छोटे-बड़े का अंतर नहीं है। अजर - अव्याबाध शुद्ध आत्मा को रोग नहीं होता, व्याधि और पीड़ा नहीं होती, शुद्ध आत्मा को अखंड़ जवानी होती है, संपूर्ण आरोग्य और अनंत आनंद होता है ! ww For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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