Book Title: Dimond Diary
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

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Page 33
________________ Jain Education Intemattoman अरुपी बनी हुई आत्मा कोजन्म भी लेन का हम अपनी इन आंखों से एस शुद्ध आत्मा को, जा आत्मा को जन्म लेने का दु:ख नहीं। ट:ख नहीं ! आत्मा को मृत्यु पाने की पीडानी म भी लेने का नहीं औरमरने का भी नहीं जास्वयंशद्ध आल पही देख सकते है। Personale आत्मा हो वे हीद छ और सिद्ध आत्मा का तिमा को नहीं देख सकत पटी जहां पर जन्म-मृत्यु नहा हातह, उस मोक्ष कहा जाता है। जाता है !...... "नहाजनाले का और मरने का उसका न का उसका स्वभाव नहीं है। || सच्चिदानन्दपूर्णेन पूर्णं जगदवेक्ष्यते ।। www.jainelibrary.org 123

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