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अकेला
मर कर अकेला ही जायेगा । आया है और
जीव
यह
शरीर मेरा नहीं है।
यह घर मेरा नहीं है ।
संसार की कोई भी जड़ चेतन वस्तु मेरी नहीं है ।
क्या है तेरा ?
तूं क्या लेकर आया था ?
और
क्या लेकर यहां से जायेगा ?
गहरा विचार करने से संसार के पदार्थों में
उसका
मोह - आसक्ति कम हो जायगी।
|| एक उत्पद्यते जन्तुरेक एव विपद्यते ।।
यह मेरा नहीं है...