Book Title: Dimond Diary
Author(s): Kalyanbodhisuri
Publisher: K P Sanghvi Group

View full book text
Previous | Next

Page 22
________________ Divine आनंद का अर्थ होता है: सुख-दुःख, दोनों के पार जहां तक सुख है वहां तक दुःख की छाया बनी ही रहेगी। और जहां तक दुःख है वहां तक सुख की आशा भी बनी रहेगी। इन दोनों के पार हो जाने की जो अवस्था है उसको हम आनंद कहते हैं। आनंद का अर्थ सुख नहीं होता। खूब समझ लेना । भाषाकोश में कुछ भी लिखा हो, भाषाकोश से कुछ लेना-देना नहीं है। जीवन के कोश में आनंद का अर्थ सुख नहीं होता। आनंद का अर्थ होता है : सुख-दुःख, दोनों के पार | परमात्मा को पाने का अर्थ होता है : आनंद को पा लिया; परम शांति को पा लिया। अब न दुःख बचा, न सुख बचा ; न पाप बचा, न पुण्य बचा । गए सब लंड, गए सब द्वैत, गई दुई। अब एक बचा ।। 12 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100