Book Title: Digambar Jain Vratoddyapan Sangrah
Author(s): Fulchand Surchand Doshi
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 8
________________ ॥ ॐ नमः सिद्धेभ्यः । दि० जैन व्रतोद्यापनसंग्रहः अथाभिषेकार्थ जलशुद्धिविधानम् । अभिषेक प्रारम्भ करनेके पहिले अभिषेक तथा पूजनके लिए जल आवश्यक है इसलिए सौभाग्यवती खिये अथवा कन्याएं अपने२ माथे पर नारियलसे ढके हुए कलश ले जावें और निम्नलिखित विधान पूर्वक जल लावें । नीचेके श्लोक प्रमाण जलाशय पर अर्घ चढ़ावे। पद्मापादनतो महामृतभवानंदप्रदानानृणाम् । जैनो मार्ग इवावभासि विमलो योगीव शीतीभवन् । जैनेन्द्रस्नपनोचितोदकतया क्षीरोदवत्तत्सताम् । पूज्यं त्वां शुभशुद्धजीवननिधि कासोर संपूजये ॥१॥ ॐ ह्रीं पद्माकराय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा । श्रीमुख्यदेवीः कुलशैलमूर्धपद्मादिपद्माकरसमसक्ताः। पयः पटीराक्षतपुष्पहव्यप्रदीपपोद्धफलैः प्रयक्ष्ये ॥२॥ ॐ ह्रीं श्री प्रभृतिदेवताभ्यः इदं जलादि अर्धा निर्व० स्वाहा। गंगादिदेवीरतिमंगलांगा गंगादिविख्यातनदीनिवासाः। पयः पटीराक्षत पुष्पहव्य प्रदीपधूपोद्धफलैः प्रयक्ष्ये ॥३॥ ॐ ह्रीं गंगादि देवोभ्यः इदं जलादि अर्ष० ।

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