Book Title: Digambar Jain Vratoddyapan Sangrah
Author(s): Fulchand Surchand Doshi
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 10
________________ जलशुद्धिविधान। ऊपरका "गंगादयः" आदि श्लोक मंत्र बोलकर जलाशयसे जल निकालना चाहिये । कलशों पर चंदन लगाकर नीचे लिखा मंत्र बोल कलशोंमें जल भरना चाहिये । ॐ ह्रीं श्री-ह्रीं-धृति-कीर्ति बुद्धि लक्ष्मी-शांतिपुष्टयः श्री दिक्कुमार्यो जिनेन्द्रमहाभिषेककलशमुखेष्वेतेषु नित्यविशिष्टा भवत भवतेति स्वाहा। तीर्थेनानेन तीर्थान्तरदुरधिगमोदारदिव्यप्रभाव:स्फर्जतीर्थोत्तमस्य प्रथितजिनपतेः प्रेषितप्राभृताभान् । श्रीमुख्यख्यातदेवीनिवहकृतमुखाद्यासनोद्भुतशक्तिप्रागल्भ्यानुद्धरामो जयजयनिनदे शातकुंभीयकुंभान् ।११। उपरका श्लोक बोल जलशुद्धि विधान पूर्णकर वे जल कलश सौभाग्यवती स्त्रियों अथवा कन्याओंके द्वारा मस्तकसे धारण कराकर लाना चाहिये । इति जलशुद्धिविधानम् ।

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