Book Title: Digambar Jain 1915 Varsh 08 Ank 01
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 3
________________ १०३ २७ व्हेनोनी मीटींग- गुजराती (श्रीमती कंकुब्हेन-सोलापुर) ९६ २८ विद्याभ्यास पछी शुं करवू ?-,, (हरजीवन रायचंद शाह.) । २९ मित्रसम्वाद-हिन्दी (मा. दीपचंदजी परवार.) ३० वृद्धावस्थानो कागळ-गुजराती कविता (हाथीचंद माणकचंद-सोनासण.) १११ ३१ जैनधर्मका महत्व-हिन्दी (बाबू दयाचंद्र गोयलीय बी. ए.) ३२ थुइपंचअं-प्राकृत कविता (पं. श्रीलाल जैनशास्त्री-काशी.) ११८ ३३ कायाके बारेमें गझल-हिन्दी कविता (पुनशी अर्जुन शाह-धुळीआ.) ११८ ३४ दयामयी सुशिक्षा-हिन्दी (बाबू अमोलखचंद्र-इन्दौर.) ३५ जैनजीवन अथवा दैवीजीवन-गुजराती (श्री. वाडीलाल मोतीलाल शाह-मुंबाई.) ३६ हमारा कर्तव्य-हिन्दी (जैनधर्मभूषण ब्र. शीतलप्रसादजी) १२९ ३७ कर्मवीर-हिन्दी कविता (प्रेमी हज़ारीलाल-आगरा) । १३४ ३८ जैन बंधुओने संदेशो-गुजराती कविता(हाथीचंद माणेकचंद-सोनासण) १३५ .. ३९ भारतीय युद्ध अथवा कौरवपांडवांचा काळनिर्णय-मराठी ___(बी. पी. पाटील - होसूर) ४० जैनदर्शनस्यानुवादः।-संस्कृत (गोवीन्दराय गुप्त-काशी) ४१ जैनानां वर्तमानप्रगतिः। ,, (मख्खनलाल जैन-मोरैना) ४२ जिणधम्मस्स उन्नइए उवाया-प्राकृत (पं. श्रीलाल जैनशास्त्री) १४५ ४३ ज्ञानतरंग-गुजराती (सरैया-सूरत) १४६ ४४ जैन लोकांचे सांप्रतचे कर्तव्य-मराठी (एम. एम. खंडारे-अंजनगांव) १५१ 45 Appeal,for the Central Jain College-Edglish (K. Davendraprasad-Arrah ४६ जीवनचरित्रोनी महत्वता-गुजराती (वाडीलाल मूळजीभाई संघवी-लींबडी) १५४ ४७ कीर्तिमाटे करोडनुं पाणी-गुजराती कविता (पुंजालाल प्रेमचंद श्वे.जैन उपदेशक)१५७ ४८ भारतकी कुछ पूर्वदशा और चेतावनी-हिन्दी कविता (श्यामसुंदरलाल जैन-मेरठ)१५७ ४९ अलौकिक जीवन- ___,, ,, (दुलीचंद सींघई-बम्बई) १५८ ५० अधेर जमाना ,, ,, (सी. एम. पाटनी-इन्दौर) १५८ .. ५१ पहलेके जैनों-उर्दू कविता (ज्यो. रत्न जैनी जियालालजी) ५२ मनशिक्षा-गुजराती (आ. अ. शाह-सूरत) ५३ नूतन वर्षारंभे मुबारकबादी-गुजराती (मोतीलाल त्री. माळवी) टाईटल १३७ १४४

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