Book Title: Digambar Jain 1915 Varsh 08 Ank 01 Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia View full book textPage 2
________________ - खास अंकका विषयानुक्रम | e विषय. पृष्ठ. १ श्री महावीराष्टकम् - संस्कृत (तुलसीराम काव्यतीर्थ - काशी) २ वर्षारंभे नम्र याचना - गुजराती कतिवा (जी. क. कापडीआ - सूरत) ३ चालो ओ बंधु ! - कविता (सरैया - सूरत) ४ आशीश वचनो - कविता (रमूजी - बोरसद ) 93 33 5 An Awakening - English Poem (Devendraprasad-Arrah) ६ जननी जिनवाणी - मराठी कविता (डी. बी. रणदिवे - वर्धा). ७ 'दिगम्बर जैन 'नो विजय थजो - गुजराती (पु. अ. शाह - धुळीमा) ८ नूतन वर्षाभिनंदन - गुजराती कविता (Vinita) ९ संपादकीय वक्तव्य - इंग्लिश - गुजराती - हिन्दी (संपादक ) १० नूतन समाचार ११ विनोद - बाण - गुजराती ( " विनोदी " ) १२ उपदेशकना भ्रमणनो रिपोर्ट- गुजराती ( ठाकोरदास भ. झवेरी - मुंबाई ) १३ जैनसमाचार संग्रह - हिन्दी - गुजराती (संपादक ) १४ स्वीकार-समालोचना -,, ( "" १९ चित्रपरिचय - हिन्दी - गुजराती - मराठी - ( "" 16 Life or Death for Jains !-English ,, ) > २ ( श्रीमती ललीताब्हेन मूळचंद - मुंबाई . ) २१ लोभी और फैय्याजी (आख्यायिका) - हिन्दी (गोपीलाल गोधा-लश्कर .) २२ श्रीचंद्रगिरि पर्वत - हिन्दी (सेठ पदमराजजी रानीवाला . ) 3 ४ "" ५ ग. ९ ११ १४ C300/~ 41 45 (J. L. Jaini, M.A. Bar-at-law-Saharanpur) 17 Live & Let Live-English (A. Gordon-Cheshire, England) 18 The Six Dravyas of the Jain Philosophy-English(H. Warren-London) 47 19 Element of Religion in Education-English १९ २१ (Manilal H. Udani, M. A. LL. B., F.LL.C.-Bombay.)53 २० जैन स्त्रीसमाजने सुशिक्षित करवाना उपाय - गुजराती ६१ ६५ ७२. २३ सउपदेशरुपी संवाद - गुजराती (पुनशी अर्जुन शाह - धूळीआ) ७७ २४ गुणदृष्टिवडे जणाती बहिरात्मानी बलीहारी - गुजराती (पं. लालन- मुंबई) ८३ २५ जैनोना सोळ संस्कार - गुजराती - ( नानचंद पुंजाभाई बी. ए. - वडोदरा ) २६ त्यागनुं नवुं स्वरुप ८७ ( अमृतलाल सुंदर जी पढीयार)Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 170