Book Title: Dharmna Darwajane Jovani Disha Athva Tattvatattva Vichar
Author(s): Amarmuni
Publisher: Amarvijay Jain Pathshala

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Page 9
________________ ॥ धर्मना दरवाजाने जोवानी दिशानु श्रद्धीपत्रक ॥ पृष्ट. ओली. ५-२१ ६–६ ११-६ श्रुद्ध. सम्यक्त्व. हिशाव. सम्यक्त्व आ सम्यक्त्व शब्द ज्यां आवे त्यां समजी लेवी अमो फरी श्रद्धी पत्रकमां दाखल करता नथी. पंचेद्री करलोज ऊप समासउ शेलीने तनाथी १३-२४ १६-१७ २१-१८ ३६ ४२—६ ४३=१० ४६-११ ४७-८ ५१-२१ ५८-१४ ६२-२० ६९-१० अश्रुद्ध. सम्यक्त हिशाबे सम्यत्क ६६-२० ६९-१६ ७३-१७ खरखेरो मोहघरमां जीवरसवा व्त्राव सयं युक्तपणाथी यकाय तिरर्थक पंचेद्री करेलाज सत्रपाठ गड़ताए ६६---३ रूषभ ऋषभ एवी रीते " ऋषभ " शब्द बधे ठेकाणे समजी लेवो वारंवार अमो नांध करता नथी. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat उप समासओ शैलीने तेनाथी खरेखरा मोहनघरमां जीवरसवा दव्वावस्तयं सूत्रपाठ गद्भत्ताए पुक्तपणाथी शकाय निरर्थक www.umaragyanbhandar.com

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