Book Title: Descriptive Catalogue of Sanskrit Manuscripts in Trivandrum
Author(s):
Publisher:
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SANSKRIT MANUSCRIPTS. 317 per line. Seript-Malayalam... No. of Gran thas-6800. Complete. Owner-Same as No. 122. Subject-Same as No. 128. Beginning-Same as No. 134. End : एवं सामान्येन कर्मणामस(त्य?म्यक्त्वे प्रायश्चित्तमुक्तम् / अनेन न्यायेन सर्वत्रापि प्रायश्चित्तमह्यम् / विषयाणामानन्त्याद अस्माकमल्पप्रज्ञत्वाद्वा तत् कृत्स्नशो वक्तुं न शक्यम् / तदुक्तं प्रयोगसारे-- “वचनन्यायमार्गस्य कः क्षणः कृत्स्ननिर्णये / मुनिर्वेदाप्तदृग्वापि किमुतान्यत्र सम्भवः"॥ इति // अत एवान्यानि धर्मशास्त्राण्यप्यध्येतव्यानि / अन्यथा दोषस्मरणात् / तदुक्तं ब्रह्मपुराणे "धर्मशास्त्राण्यविज्ञाय प्रायश्चित्तं ददाति यः / राजयक्ष्मा भवेत् तस्य रोगपीडाविदारणः" / इति / / Colophon : विश्वामित्रजदेवरतिमुनिसम्भूतो दलस्यान्वये ग्रामे चापि महावने महिषपूर्वे मङ्गलाख्ये गृहे / जातः शङ्करनन्दनो गणितावन्नारायणाख्यो द्विजः प्रायश्चित्तविशिनीमरचयत् स्मार्तापराधेष्विमाम् / / इति नारायणीये स्मार्तप्रायश्चित्तविमर्शिन्यां पञ्चमः परिच्छेदः / समाप्तोऽयं पञ्चमः परिच्छेदः / Author-Mazhamangalam Narayanan Nampuri. Remarks-The movement of the planets. .. and the effects thereof are calculated usually by For Private and Personal Use Only
Page Navigation
1 ... 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418