Book Title: Dashvaikalikam
Author(s): Kanchanvijay, Kshemankarsagar
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 7
________________ सुमति साधु श्री दशवै. णमो सिजंभवस्स श्रेष्ठि-देवचन्द लालभाई-जैनपुस्तकोद्वारे ग्रन्थाङ्कः १०३ । श्रीसुमति(साधु )सूरिविरचित लघुवृत्तिसहित दशवैकालिकसूत्रना अंगे प्रकाशकीय-वक्तव्य श्रमण भगवान महावीर महाराजना पंचम गणधर श्रीसुधर्मास्वामीनी पाटे चरम केवली श्रीजम्बूस्वामी थया, तेमना पट्टधर श्रीप्रभवस्वामी थया अने तेमने पोतानी पाटे श्रीशय्यं भवसूरिने स्थाप्या. तेओश्रीए पोताना पुत्र मनकने दीक्षा आपी अने तेनु छ महिनानुं आयुष्य जोतां तेना उद्धार माटे श्रीदशवकालिकनी रचना करी. ते आ श्रीदशवकालिक उपर नियुक्ति वगेरे छे. अने तेनी उपर भवविरहाक्ति आचार्य भगवान् श्रीहरिभद्रसूरीश्वर महाराजे शिष्यबोधिनी नामनी टीका रची हती. ते टीका उपरथी एकला ज श्रीदशवकालिकमूळ उपरनी वृत्तिनो श्रीसुमतिसाधुसूरिए उद्धार कर्यो. ए वात लघुटीकाना अन्त्यपत्रमा जणावी छे. एटले आ ग्रन्थ श्रीसुमतिसाधुसूरिनी रचेली लघुवृत्ति सहितनो श्रीदशवकालिकसूत्रनो छे. Jain Education Interna For Private Personel Use Only lww.jainelibrary.org

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