Book Title: Dashvaikalaik Sutram
Author(s): Aatmaramji Maharaj, Shivmuni
Publisher: Aatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti

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Page 525
________________ अणुसोअपट्ठिएबहुजणंमि, पडिसोअलद्धलक्खेणं। पडिसोअमेव अप्पा, दायव्वो होउ कामेणं॥२॥ अनुस्रोतः प्रस्थिते बहुजने, प्रतिस्रोतो लब्धलक्ष्येण। .. प्रतिस्त्रोत इव आत्मा, दातव्यो भवतु कामेन॥२॥ पदार्थान्वयः- जिस प्रकार नदी में गिरा हुआ काष्ठ, प्रवाह के वेग से समुद्र की ओर जाता है, उसी प्रकार बहुजणंमि-बहुत से मनुष्य अणसोअपट्टिए-विषय प्रवाह के वेग से संसार रूप समुद्र की ओर बहते हैं, किन्तु पडिसोअलद्ध-लक्खेणं-विषयप्रवाह से पृथक् रहे हुए संयम को लक्ष्य रखने वाले होउकामेणं-मुक्ति चाहने की इच्छा करने वाले पुरुषों को तो अप्पा-अपनी आत्मा पडिसोअमेव-विषयप्रवाह से पराङ्मुख ही दायव्वो-करनी चाहिए। ... मूलार्थ-नदी के जलप्रवाह में पड़े हुए काष्ठ की तरह बहुत से प्राणी, विषय रूपी नदी के प्रवाह में पड़े हुए संसार समुद्र की ओर बहते जा रहे हैं, किन्तु जिनका लक्ष्य विषयप्रवाह से बहिर्भूत (द्वीपसम) संयम की ओर लग गया है और संसार से मुक्त होने की इच्छा रखते हैं, उनका कर्तव्य है कि वे अपनी आत्मा को सदा विषय प्रवाहों से पराङ्मुख ही रक्खें। टीका-इस गाथा में शिक्षा का वर्णन किया गया है। यथा जब काठ नदी के प्रवाह में गिर जाता है, तब वह नदी के वेग से समुद्र की ओर बहने लगता है, ठीक इसी प्रकार विषयरूपी नदी के प्रवाह में जो जीव पड़े हुए हैं, वे भी संसार-समुद्र की ओर बहे जा रहे हैं, किन्तु जो आत्माएँ संसार-सागर से पराङ्मुख होकर मुक्त हो जाने इच्छा की इच्छा रखने वाली हैं, उनको योग्य है कि वे अपनी आत्मा को विषय रूपी प्रवाह से हटा कर संयम रूपी द्वीप में स्थापित करें। कारण यह है कि 'अनुस्रोत' संसार के विषय विकारों का नाम है और प्रतिस्रोत' विषय विकारों से निवृत्ति का नाम है। अतः 'द्रव्य अनुस्रोत' नदी का प्रवाह है और 'भाव अनुस्रोत' विषय विकार है। अनुस्रोतगामी जीव अन्त में नरक आदि के दुःखों के भागी होते हैं और प्रतिस्रोतगामी जीव निर्वाण प्राप्त कर अनंत सुखों के भागी होते हैं। अतएव निर्वाणसुखाभिलाषी भव्य पुरुषों को सदा प्रतिस्रोत की ओर ही गमन करना चाहिए। उत्थानिका- अब फिर यही विषय स्पष्ट किया गया है:अणुसोअसुहो लोओ, पडिसोओ आसवो सुविहिआणं। अणुसोओ संसारो, पडिसोओ तस्स उत्तारो॥३॥ 464 ] दशवैकालिकसूत्रम् [ द्वितीया चूलिका

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