Book Title: Dashvaikalaik Sutram
Author(s): Aatmaramji Maharaj, Shivmuni
Publisher: Aatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti

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Page 539
________________ दशवकालिक और आचारांग सूत्रों का नमूनामात्र तुलनात्मक अध्ययन दशवैकालिक सूत्र अन्य सूत्रों का संक्षिप्त सारभाग है। दशवैकालिक का बहुत-सा अंश आचारांग और उत्तराध्ययन के गद्य और पद्य-भाग से प्रायः अक्षरशः मिलता है। इसके प्रमाण में यहाँ पर आचारांग के गद्य-पाठ और दशवैकालिक के गद्य-पद्य-भाग की समतुलना का थोड़ा दिग्दर्शन कराया गया है, जो कि पाठकों, विद्वानों और अन्वेषकों के लिए विशेष उपयुक्त होगा। आचारांगसूत्रम् दशवैकालिकसूत्रम् से भिक्खू वा भिक्खुणी वा अह पुण एवं न चरेज वासे वासंते महियाए पडंतिए। .. जाणेज्जा तिव्वदेसियं वासं वासमाणं महावाए व वायंते तिरिच्छ संपाइमेसु वा॥ . पेहाए, तिव्वदेसियं महियं सण्णिवय [दश. अ. ५उ.१गाथा.८] माणिं पेहाए महावाएण वा रयं समुद्धयं पेहाए, तिरिच्छसंपातिमा वा तसा पाणा संघडा सन्निवयमाणा पेहाए, से एवंणच्चा णो सव्वं भंडगमायाय गाहा-वइकुलं पिंडवाय पडियाए पविसेज वा णिक्खमेज वा, बहिया विहारभूमिं वा वियारभूमिं वा पविसेज वा णिक्खमेज वा गामाणुगामं दूइजेज वा। [559 सू.](द्वि.श्रु.अ.१०३.३) से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गाहा- साणीपावारपिहियं, अप्पणा नावपंगुरे। वइकुलस्स दुवारसाहं कंटक बोंदियाए - कवाडं नो पणुलिजा, उग्गहंसि अजाइया॥ पडिपिहियं पेहाए तेसिं पुव्वामेव उग्गहं [दश.अ.५उ.१गा.१८] अणणुनविय अपडिलेहिय अप्पमजियनो अवगुणेज वा, पविसेज वा, णिक्खमेज वा। तेसिं पुव्वामेव उग्गहं अणुन्नविय पडिलेहिय पमजिय ततो संजयामेव अवगुणेज वा, पविसेज्ज वा, णिक्खमेज वा। [५७२सू.](अ.१०उ.५.) से भिक्खू वा भिक्खुणी वा जाव समाणे समणं माहणं वा वि, किविणं वा वणीमगं। . सेजं पुण जाणेज्जा समणं वा, माहणं वा, उवसंकमंतं भत्तट्ठा, पाणट्ठाए व संजए॥ . गाम पिण्डोलगं वा, अतिथिं वा, [दश.अ.५उ.२गा.१०]


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