________________ दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम् 400 37 श्रमण भगवान् महावीर स्वामी की | निग्रंथी का निदान कर्म करके फिर देशना 370 | देवलोक जाने के अनंतर मानुष कितने ही साधु वा साध्वियों को श्रेणिक लोक में कुमारी बनना 365. राजा को देखकर संकल्प उत्पन्न कुमारी की यौवनावस्था और उसके / होने का वर्णन 371 विवाह का वर्णन 367 श्रेणिक राजा को देखकर साधुओं का धर्म के श्रवण करने की अयोग्यता और . संकल्प 372 | उसके फल का वर्णन . 368 चेलना देवी को देखकर साध्वियों का साधु ने किसी सुखी स्त्री को देखकर संकल्प 374 | निदान कर्म का संकल्प किया, भगवान का साधु वा साध्वियों को उसका वर्णन आमंत्रित कर उनके भावों को पुरुष के कष्टों को देखकर स्त्री-जन्म प्रकट करना 376 - को अच्छा समझकर स्त्री बनने का श्री भगवान् द्वारा निग्रंथ प्रवचन के . . निदान किया, उसका वर्णन 401 माहात्म्य का वर्णन 30- | निदान कर्म करने वाले भिक्षु के स्त्री साधु ने भोगादि कुलों में उत्पन्न हुए बनने का अधिकार 403 __ कुमारों की ऋद्धि को देखा, इसका स्त्री के सुखों का वर्णन 404 सविस्तर वर्णन . 380 स्त्री की धर्म सुनने की अयोग्यता और .. उग्रकुलादि कुमारों की ऋद्धि का उसके फल का वर्णन - 405 . वर्णन 382 | निग्रंथी का कुमार को देखकर निदान कुमारों की ऋद्धि को देखकर साधु के __ कर्म का संकल्प करना 407 निदान करने के विषय का वर्णन 386 / स्त्री को देखकर अन्य लोगों की कामना साधु ने निदान कर्म किया, फिर बिना - और स्त्री के कष्टों का वर्णन 406 आलोचन किए देव बना, फिर तद्वत् पुरुष के सुखों के अनुभव करने की कुमार हुआ, इस विषय का वर्णन 387 | इच्छा का वर्णन .. . 410 कुमार के धर्म सुनने की अयोग्यता का पुरुष बनकर सुख भोगने और धर्म के वर्णन और निदान कर्म के अशुभ फल / सुनने की अयोग्यता का वर्णन 411 विपाक का वर्णन 360 मनुष्य के भोगों की अनित्यतादि का निग्रंथी के किसी सुंदर युवती को देखकर वर्णन 413 निदान कर्म करने का वर्णन 362 देवलोक के काम-भोगों का वर्णन 416 तप, नियम, ब्रह्मचर्य के फल से निदान / देवलोक के सुखों का वर्णन, फिर च्यवकर कर्म के फल का वर्णन 364 / मनुष्य बनने का अधिकार .. 418