Book Title: Dash Vaikalika Sutra
Author(s): Hastimalji Aacharya
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

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Page 321
________________ द्वितीय चूलिका ] अनुस्रोत कहाता विषयभाव, होता जिसमें बहु जन्म-मरण । प्रतिस्रोत उत्तार जगत का है, कट जाता जिसमें भव बन्धन ।। अन्वयार्थ-संसारो = संसार । अणुसोओ = अनुस्रोतगामी अर्थात् उल्टी दिशा में विषय-भोगों की ओर ले जाने वाला है। तस्स = उस संसार से । उत्तारो = पार होना । पडिसोओ = प्रतिस्रोत यानी सही दिशा में आत्मा के निज स्वरूप की दिशा में चलना कहलाता है । सुविहियाणं (सुविहिआणं) = साधु पुरुषों का। आसवो = संयम । पडिसोओ = प्रतिस्रोतगामी है अर्थात् सांसारिक विषय-भोगों, कामवासनाओं से निवृत्ति रूप है। इसकी तरफ प्रवृत्ति करना संसारी जीवों के लिये कठिन है, क्योंकि । लोओ संसारी जीव तो । अणुसोयसुहो = अनुस्रोत में ही चलना सुखदायी मानते हैं। तम्हा आयारपरक्कमेणं, संवर- समाहि-बहुलेणं । चरिया गुणा यणियमा य, हुंति साहूण दट्ठव्वा ।।4।। भावार्थ-जन-साधारण को अनुस्रोत के अनुकूल चलने में सुख की अनुभूति होती है, किन्तु जो सुविहित साधु है, उसका संयम (इन्द्रिय-विजय) प्रतिस्रोत गामी होता है । अनुस्रोत संसार है, जन्म-मरण की परम्परा है । प्रतिस्रोत उसका उत्तार है, जन्म-मरण का पार पाना है । हिन्दी पद्यानुवाद इसलिये यहाँ पर हैं जितने, आचार पराक्रम वाले तन । संवर में बहुल-समाधि युक्त, धार्मिक रुचि श्रद्धावाले जन ।। मुनि के गुण एवं चर्या पर, देना है उन्हें ध्यान जग में 1 मुनि नियमों का पालन करते, वे बढ़े साधु-जीवन मग में ।। [309 अन्वयार्थ-तम्हा = इसलिये । आयार-परक्कमेणं = साधु को ज्ञानादि आचारों का पालन करने में प्रयत्न करना चाहिये और उसके द्वारा । संवरसमाहिबहुलेणं = संवर और समाधि की आराधना करनी चाहिये । य = और। साहूण = साधुओं की । चरिया = जो चर्या । गुणा = गुण । य = और। णियमा = नियम है उनका । दट्ठव्वा हुंति = यथा समय पूर्ण रूप से पालन करना चाहिये । अणिएयवासो समुयाण चरिया, अण्णायउंछं परिक्कया य । अप्पोवही कलहविवज्जणा य, विहारचरिया इसिणं पसत्था ||5|| हिन्दी पद्यानुवाद = भावार्थ-इसलिए आचार में पराक्रम करने वाले और संवर में प्रभूत समाधि रखने वाले साधुओं को विशुद्ध चर्या, गुणों तथा नियमों की ओर दृष्टिपात करना चाहिये । गृहवास त्याग के ले भिक्षा, नाना अज्ञात कुल में जाकर । एकान्तवास में मुदित रहे, उपकरण अल्प की इच्छा धर ।।

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