Book Title: Dasa Prakirnaka Sutra Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai

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Page 24
________________ (२४-३३) दस पइन्नयसुत्तेसु २ तंदुलवेयालिय [१३] आएज्ज-लडह-सुकुमाल-मउय रमणिज्जरोमराइ झस-विहगसुजाय-पीणकुच्छी झसोयरा पम्हवियडनाभा संगयपासा सन्नयपासा सुंदरपासा सुजायपासा मियमाइय-पीण-रइयपासा अकरंडुयकणगरुयग-निम्मल सुजाय - निरुवहयदेहधारी पसत्थ- बत्तीसलक्खणधरा कणगसिलायलुज्जलपसत्थ-समतलउवचियवित्थिन्नपिहुलवच्छा सिरिवच्छंकियवच्छा पुरवरफलिहवट्टियभुया भुयगीसरविउलभोग आयाणफलिहउच्छूढदीहबाहू जुगसन्निभपीण रइय- पीवरपउट्ठसंठियउवचिय- घण-थिर- सुबद्ध- सुवट्ट सुसिलिट्ठ लट्ठपव्वसंधी रत्ततलोवचिय-मउय-मंसल - सुजाय लक्खणपसत्थ-अच्छिद्दजालपाणी पीवर- वट्टिय सुजायकोमलवरंगुलिया तंब - तलिण- सुइ रुइर- निद्धनक्खा चंदपाणिलेहा सूरपाणिलेहा संखपाणिलेहा चक्कपाणिलेहा सोत्थियपाणिलेहा ससि रवि-संख-चक्कसोत्थियविभत्त-सुविरइयपाणिलेहा वरमहिसवराह-सीह सद्दूल-उसभ नागवरविउल- पडिपुन्न- उन्नय-मउदक्खंधा चउरंगुलसुपमाण-कंबुवरसरिसगीवा अवट्ठियसुविभत्त-चित्तमं मंसल - संठिय-पसत्थ- सद्दूलविउलहणुया ओयवियसिलप्पवाल- बिंबफलसन्निभाधरुट्ठा पंडुरससिसगलविमल निम्मलसंख-गोखीर-कुंददगरय-मुणालियाधवलदंतसेढी अखंडदंता अफुडियदंता अविरलदंता सुनिद्धदंता सुजायदंता एगदंतसेढी विव अणेगदंता हुयवहनिद्धंत धोय-तत्ततवणि ज्जरत्ततलतालु-जीहा सारसनवथणियमहुरगंभीर - कुं चनिग्घोस दुंदुहिसरा गरुलायय उज्जु-तुंगनासा अवदारिअपुंडरीयवयणा कोकासियधवलपुंडरीयपत्तलच्छा आनामियचावरुइल-किण्ह-चिहुरराइसुसंठिय-संगय-आयय-सुजायभुमाया अल्लीण पमाणजुत्तसवणा सुसवणापीण-मंसलकवोलदेस-भागा अइरुग्गय-समग्गसुनिद्धचंदद्धसंठियनिडाला उडुवइपडिपुन्नसोमवयणा छत्तागारुत्तमंगदेसा घण-निचिय सुबद्ध-लक्खणुन्नय - कूडागार निभ- निरुवमपिंडियऽग्गसिरा हुयवहनिद्धंतधोय-तत्ततवणिज्जकेसंतके सभूमी सामली- बोंडघणनिचियच्छोडिय- मिउ-विसय- सुहुम- लक्खणपसत्थ- सुगंधि- सुंदर - भुयमोयग - भिंग- नील- कज्जलपहट्टभमरगणनिद्ध-निउरंबनिचिय कुंचिय पयाहिणावत्तमुद्धसिरया लक्खण वंजणगुणोववेया माणुम्माणपमाणपडिपुन्नसुजायसव्वंगसुंदरंगा ससिसोमागारा कंता पियदंसणा सब्भावसिंगारचारुरूवा पासाईया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा ||६६ || ३७८. ते णं मणुया ओहस्सरा मेहस्सरा हंसस्सरा कोंचस्सरा नंदिस्सरा नंदिघोसा सीहस्सरा सीहघोसा मंजुस्सरा मंजुघोसा सुस्सरा सुस्सरघोसा अणुलोमवाउवेगा कंकग्गहणी कवोयपरिणामा सउणिप्फोस-पिट्टंतरोरुपरिणया पउमुप्पल गंधसरिसनीसासा सुरभिवयणा छवी निरायंका उत्तम - पसत्थाऽइसेस-निरुवमत जल्लमल - कलंक सेय-रय दोसवज्जियसरीरा निरुवलेवा छायाउज्जोवियंगमंगा वज्जरिसहनारायणसंघयणा समचउरंससंठाणसंठिया छधणुसहस्साइं उड्डुं उच्चत्तेण पण्णत्ता । तेणं मणुया दो छप्पन्नपिट्ठकरंडगसया पणत् समणाउसो ! ॥६७|| ३७९. ते णं मणुया पगइभद्दया पगइविणीया पगइउवसंता पगइपयणुकोह माण- माया-लोभा मिउ-मद्दवसंपन्ना अल्लीणा भद्दया विणीया अप्पिच्छा असन्निहिसंचया अचंडा असि मसि - किसी वाणिज्जविवज्जिया विडिमंतरनिवासिणो इच्छिय- कामकामिणो गेहागाररुक्खकयनिलया पुढवि- पुप्फफलाहारा, ते मणुयगणा पण्णत्ता ॥ ६८ ॥ [ सु. गा. ६९-७५. संपइकालीणमणुयाणं देह संघयणाइहाणी धम्मियजणपसंसा य] ३८०. आसी य समणाउसो ! पुव्विं मणुयाणं छव्विहे संघयणे । तं जहा वज्जरिसहनारायसंघयणे १ रिसहनारायसंघयणे २ नारायसंघयणे ३ अर्द्धनारायसंघयणे ४ कीलियासंघयणे ५ छेवट्ठसंघयणे ६ । संपइ खलु आउसो ! मणुयाणं छेवट्ठे संघयणे वट्ट || ६९ ॥ ३८१. आसी य आउसो ! पुव्विं मणुयाणं छव्विहे संठाणे । तं जहा समचउरंसे १ नग्गोहपरिमंडले २ सादि ३ खुज्जे ४ वामणे ५ हुंडे ६ | संपइ खलु आउसो ! अणुयाणं हुंडे संठाणे वट्टइ ||७० ॥ ३८२. संघयणं संठाणं उच्चत्तं आउयं च मणुयाणं । अणुसमयं परिहायइ ओसप्पिणिकालदोसेणं ॥ ७१ ॥ ३८३. कोह - मय- माय लोभा उस्सन्नं वहुए मणुस्साणं । कूडतुल कूडमाणा तेणऽणुमाणेण सव्वं ति ॥७२॥ ३८४. विसमा अज्ज तुलाओ, विसमाणि य जणवएसु माणाणि । विसमा रायकुलाई, तेण उ विसमाई वासाई ॥ ७३ ॥ ३८५. विसमेसु य वासेसुं हुंति असाराई ओसहिबलाइं । ओसहिदुब्बल्लेण य आउं परिहायइ नराणं ॥ ७४ ॥ ३८६. एवं परिहायमाणे लोए चंदु व्व कालपक्खम्मि । जे धम्मिया मणुस्सा सुजीवियं जीवयं तेसिं ॥७५॥ [सु.गा. ७६-८१. वाससयाउयमणुयस्स वाससयविभागा आहारकरिणामाइ य ] ३८७. आउसो ! से जहानामए काइ पुरिसे पहाए कयबलिकम्मे FIFICICICICICIFICIFIC of arcur ELELELELELEL 12.

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