Book Title: Dasa Prakirnaka Sutra Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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(२४-३३) दस पइन्नयसुत्नेसु - ३ चंदावेज्झयं
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सत्तमं दारं ] ६०५. जह व अनियमियतुरगे अयाणमाणो नरो समारूढो । इच्छेज्ज पराणीयं अइगंतुं जो अकयजोगो ॥११७।। ६०६. सो पुरिसो सो तुरगो पुविं अनियमियकरणजोएणं । दवण पराणीयं भज्जती दो वि संगामे॥११८॥६०७. एवमकारिजोगो पुरिसो मरणे उवट्ठिए संते। न भवइ परीसहसहो अंगेसुपरीसहनिवाए ॥११९|| ६०८. पुव्विं कारियजोगो समाहिकामो य मरणकालम्मि । भवइ य परीसहसहो विसयसुहनिवारिओ अप्पा ।। ६०९. पुव्विं कयपरिकम्मो पुरिसो मरणे उवट्ठिए संते। छिंदइ परीसहमिणं निच्छयपरसुप्पहारेणं ॥१२१|| ६१० बाहिति इंदियाई पुव्वमकारियपइन्नचारिस्स। अकयपरिकम्म जीवो मुज्झइ आराहणाकाले ॥१२२।। ६११. आगमसंजुत्तस्स वि इंदियरसलोलुयं पइट्ठस्स । जइ वि मरण समाही हवेज, न वि होज्न बहुयाणं ||१२३।। ६१२. असमत्तसुओ वि मुणी पुब्विं सुकयपरिकम्मपरिहत्थो। संजम-मरणपइन्नं सुहमव्वहिओ समाणेइ ।।१२४॥ ६१३. इंदियसुहसाउलओ घोरपरीसहपरव्वसविउत्तो। अकयपरिकम्म कीवो मुज्झइ आराहणाकाले ॥१२५|| ६१४. न चएइ किंचि काउं पुव्विं सुकयपरिकम्मबलियस्स । खोहं परीसहचमू धीबलविणिवारिया मरणे ।।१२६।। ६१५. पुव्विंकारियजोगो अणियाणो ईहिऊणमइकुसलो । सव्वत्थ अपडिबद्धो सकज्जजोगं समाणेइ ॥१२७। ६१६. उप्पीलिया सरासण गहियाउहचावनिच्छियमईओ। विधइ चंदगवेझं झायंतो अप्पणो सिक्खं ॥१२८।। ६१७. जइ वि करेइ पमायं थेवं पि य अन्नचित्तदोसेणं । तह वि य कयसंधाणो चंदगवेज्झं न विधेइ ।।१२९|| ६१८. तम्हा चंदगवेज्झस्स कारणा अप्पमाइणा निच्चं । अविरहियगुणो अप्पा कायव्वो मोक्खमग्गम्मि ॥१३०|| ६१९. सम्मत्तलद्धबुद्धिस्स चरिमसमयम्मि वट्टमाणस्स। आलोइय-निदिय-गरहियस्स मरणं हवइ सुद्धं ॥१३१।। ६२०. जे मे जाणंति जिणा अवराहे नाण-दसण-चरित्ते । ते सव्वे आलोए उवढिओ दस्सभावेणं ।।१३२।।
६२१. जो दोन्नि जीवसहिया संभइ संसारबंधणा पावा । रागं दोसं च तहा सो मरणे होइ कयजोगो ॥१३३।। ६२२. जो तिण्णि जीवसहिया दंडा मण-वयण9 कायगुत्तीओ । नाणंकुसेण गिण्हइ सो मरणे होइ कयजोगा ||१३४॥ ६२३. जो चत्तारि पसाए घोरे ससरीरसंभवे निच्वं । जिणगरहिए निरंभइ सो मरणे होइ
करजोगो ॥१३५|| ६२४. जो पंच इंदियाइं सन्नाणी विसयसंपलित्ताइं । नाणंकुसेण गिण्हइ सो मरणे होइ कयजोगो ॥१३६।। ६२५. छज्जीवकायहियओ सत्तभयट्ठाणविरहिओ साहू। एगंतमद्दवमओ सो मरणे होइ कयजोगो॥१३७|| ६२६. जेण जिया अट्ठ मया गुत्तो चिय नवहिं बंभगुत्तीहिं। आउत्तो दसकज्जे सो मरणे
होइ कयजोगो॥१३८।। ६२७. आसायणाविराहिओ आराहिंतो सुदुल्लहं मोक्खं । सुक्कज्झाणाभिमुहो सो मरणे होइ कयजोगो।।१३९।। ६२८. जो विसहइ बावीसं ॐ परीसहा, दुस्सहा उवस्सग्गा । सुन्ने व आउले वा सो मरणे होइ कयजोगा ॥१४०|| ६२९. धन्नाणं तु कसाया जगडिज्जंता वि परकसाएहिं । निच्छंति समुठेउं
सुनिविट्ठो पंगुलो चेव ॥१४१॥ ६३०. सामण्णमणुचरंतस्स कसाया जस्स उक्कडा होति । मन्नामि उच्छुपुप्फं व निप्फलं तस्स सामण्णं ॥१४२।। ६३१. जं अज्जियं चरित्तं देसूणाए वि पुव्वकोडीए.। तं पि कसाइयमेत्तो नासेइ नरो मुहुत्तेण ॥१४३।। ६३२. जं अज्जियं च कम्मं अणंतकालं पमायदोसेणं । तं निहयराग-दोसो खवेइ पुव्वाण कोडीए॥१४४||६३३. जइ उवसंतकसाओ लहइ अणंतो पुणो वि पडिवायं । किह सक्का वीससिउं थोवे वि कसायसेसम्मि?||१४५॥ ६३४.खीणेसुजाण खेमं, जियं जिएसु, अभयं अभिहएसु। नढेसुयाविणटुं सोक्खंचजओकसायाणं॥१४६।। ६३५. धन्ना निच्चमरागा जिणवयणरया नियत्तियकसाया। निस्संगनिम्ममत्ता विहरंति जहिच्छिया साहू ॥१४७।। ६३६. धन्ना अविरहियगुणा विहरंती मोक्खमग्गमल्लीणा । इह य परत्थ य लोए जीविय-मरणे अपडिबद्धा ॥१४८॥ ६३७. मिच्छत्तं वमिऊणं सम्मत्तम्मि धणियं अहीगारो । कायन्वो बुद्धिमया मरणसमुग्घायकालम्मि ॥१४९।। ६३८. हंदि ! धणियं पि धीरा पच्छा मरणे उवट्ठिए संते। मरणसमुग्घाएणं अवसा निजंति मिच्छत्तं ॥१५०|| ६३९. तो पुव्वं तु मइमया आलोयण निंदणा गुरुसगासे । कायव्वा अणुपुव्विं पव्वज्जाईओ जं सरइ ॥१५॥ ६४०. ताहे जं देज्ज गुरु पायच्छित्तं जहारिहं जस्स । 'इच्छामि त्ति भाणिज्जा 'अहमवि नित्थारिओ तुब्भे' ॥१५२।। ६४१. परमत्थओ मुणीणं अवराहो नेव होइ कायव्वो । छलियस्स पमाएणं पच्छित्तमवस्स कायव्वं ॥१५३॥ ६४२. पच्छित्तेण विसोही पमायबहुलस्स होइ जीवस्स । तेण तयंकुसभूयं चरियव्वं चरणरक्खट्ठा
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55 श्री आगमगुणमजूषा - १३०६5555555555555555555555OOR
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