Book Title: Dan Kalpadrum
Author(s): Jinkirtisuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 110
________________ दानक० सोमश्रीकुसुमश्रीभ्यां, षडिस्ताभिश्च सोऽन्वभूत् । योगीव सिद्धिभिः सौख्यमयं पत्नीभिरष्टभिः॥१५१॥ ॥५१॥ स खलु न बुभुजे यद् भूरिभाग्यो विदेशेऽप्यसुखयुजिनकीर्तिश्रीसखी गिभङ्गी सुरवर इव रेजे यत्प्रियाष्टाश्च राजोपपदगृहपुरे तयुध्यतां दानतेजः ॥ १५२ ॥ (मालिनी) इति श्रीतपागच्छनायकश्रीसोमसुन्दरसूरिविनेयश्रीजिनकीर्तिसूरिप्रज्ञोपक्रमे श्रीधन्यचरित्रशालिनि श्रीदानकल्पद्रुमे कन्याचतुष्टयपरिणयनराजगृहप्रवेशवर्णनो नाम सप्तमः पल्लवः ॥७॥ सा॥५१॥ Jain Educat and For Private Personal use only nbrary

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