Book Title: Dan Amrutmayi Parampara Author(s): Pritam Singhvi Publisher: Parshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan View full book textPage 3
________________ दान : अमृतमयी परंपरा अर्पण- समर्पण सागर का पानी जैसे बादल में और वर्षा के द्वारा नदी में और नदी द्वारा वापस सागर में ही विलीन होता है । वैसे परमात्मा का बताया हुआ प्रत्यक्ष और परोक्ष गुरु चैतन्य द्वारा, स्वार्थ से परमार्थ तक ले जाने वाला दान गुण मुझे जितने अंश में समझ में आया है और जितने अंश में मेरे हृदय में स्पर्श हुआ है उसका यतकिंचित् निरूपण करने की कोशिष की है। यह मेरी बुद्धि का नहीं किन्तु सभी गुरुवर्यों की कृपा का ही फल है । अत: उन सबके चरणकमलोमें अंतर की उर्मियों के साथ यह पुस्तक समर्पित करती हूँ । एवं प्रस्तुत पुस्तक के मार्गदर्शन के लिए तथा मेरे अध्यात्म जीवन के उपकारी सुनंदाबहेन को कैसे भूल सकते ? इस अवसर पर प्रस्तुत पुस्तक उनको भी अर्पण करती हूँ । चरणेषु प्रीतम सिंघवीPage Navigation
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