Book Title: Damannaka Kul Putrak Ras
Author(s): Kalpana K Sheth
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 3
________________ तासु सीस ईण परि भणई, ज्ञानधंरम हितकार वि० सत्तरई सई पईत्रीस समइ, विजयदशमि रविवार 51 शांतिनाथ सुप्रसादथीए, रचीयउ ए अधिकार वि० राजई धर्मसुर्रिद नइए, रचीया खंभात मझार १. जैन गूर्जर कविओ १३२ वि० मळता उल्लेख परथी कृतिना कवि खरतरगच्छना युगवर श्रीजिनचंद्रनी परंपराना पाठक राजसारना शिष्य ज्ञानधर्म छे. कृतिमां प्राप्त उल्लेख परथी आ काव्य रचना सवंत १७३५ ( इ.स. १६७९) मां खंभातमां थइ छे एम कही शकाय . आकृति सिवाय ज्ञानधर्मे अन्य कोइ कृति रची होवाना उल्लेख मळ्या नथी. ' काव्यनो बंध एकसो छत्रीस (१३६) कडीना आ काव्यनो पद्यबंध मुख्यत्वे दुहा- चोपाई अने देशीओनो छे. कविनुं शब्द प्रभुत्व मध्यम कोटिनुं छे. प्रास प्रमाणमां ठीक सारा मळे छे. Jain Education International १३१ वि० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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