Book Title: Damannaka Kul Putrak Ras
Author(s): Kalpana K Sheth
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 19
________________ पूरण पाली अउखड वलि नरभव पामी करी, दीक्षा लेइ अनुक्रमइ प्रतिबोधी बहु भविजन विरति तणा फल इम सुणीए, श्रीजिनवर इम उपदेश्यो ए, ए संबंध वखाणीयउ ए, तिणयी एनइ ए दाखव्यउ ए, तुं छउ अधिकउ जे कह्यउ ए, जिण कारण छदमस्तनउ ए, ढाल-१० ( भरतनृप भावसुं ओ, एहनी श्रीखरतरगच्छ दिनकरु ए रोहड वसइ परगडउ ए तासु सीस मतिसर गुरु ए तसु शिष्य सुमतिसागर भला ए, Jain Education International 67 दूहा हु महधिक दे रे . करिस्यइ जिन भ्रम सेव रे. पामी केवलनाण लहस्य पूनिरवाण वृत्ति आवश्यकमांहि, वि० मनमां धरीय उच्छाहि. वि० ) दामनक कुलपुत्र विरति धरम आदर फल पचक्खाण वस्त्र वि० मिच्छामि दुक्कखडताम्, वि० चंचल वचन विलास. वि० युगवर श्रीजिनचंद्र, वि० जिण प्रतिबोध्या नरेंद्र. वि० पुन्य प्रधान उवझाय वि० पाठक पंडितराय. वि० ।। १२५ For Private & Personal Use Only ॥ १२६ ॥१२७ ॥ १२८ ॥१२९ ||१३० ॥१३१ www.jainelibrary.org

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