Book Title: Damannaka Kul Putrak Ras
Author(s): Kalpana K Sheth
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 18
________________ 66 यथा गाथा अणुपुंखमावहता आवया सहु-दुक्खच्छपडओ जस्स गाथा अस्थ विचारिनइ लक्ष तीन दिनार दे भलुं , सकल नगरलोके काउ विलसइ ए धन पारकर तेडावइ नृप शेठनइ एतलउ दान किम आपीयउ तस्स संपया हुंति । कयंतो वहइ पक्खं ॥११७ आपवीतग वात जाणी रे , भा० भाख्युं मनसुं सुहात रे भा० ॥११८ राजानइ एह वृत्तान्त रे , भा० तिण आपीइ मनुज अचीत रे भा० - ॥११९ मूंकीनइ अनुचर एग रे , भा० कहउ शेठ तुम्हे वडवेग रे भा० ॥१२० मूल थकी आप वात रे , भा० तोसुं थइ माहरउ हित रे भा० ॥१२१ कीधउ नगरी केरउ आधक्ष रे , भा० देखउ धरमना फल परतक्ष रे भा० ॥१२२ विहरता देस परदेस रे , भा० संभलावउ प्रभुजी देस रे भा० कहइ वृत्तान्त ते तिण समइ सांभलि राजा इम भणइ पूख पुण्य प्रभावथी, सहकउ मानइ तेहनइ इण अवसरि गुरु आवीया , दामन्नक आवी कहइ ॥१२३ मुनिवर दीधी देसना जैन धरम तिहां पडवज्यउ प्रतिबुधउ तेण तिणवार रे , भा० पालइ ते निरतीचार रे भा० ॥१२४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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