Book Title: Damannaka Kul Putrak Ras
Author(s): Kalpana K Sheth
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 13
________________ तव हिव उभगवउ नहीं करिवउ कोइ उपाय उधम कीधइ सर्वथा कारिज-सिद्धि जि थाय. ॥८०. ढाल-७ (कपुर हुवइ अति उजलउ रे , एहनी) मनसुं एम विचारिनइ रे , सेठ चाल्यउ तिण वार , पाछउ राजगृह भणी रे, धरतउ देख अपार रे. मानव देखउ कर्म सरुप , इणवसि छइ रंक भूपरे आंकणी ||८१. मा० देख० हिवइ नंद कहइ तुम्हे रे , उतावला किण हेत , सेठ कहइ इक काम छइ रे , किण हीस्युं संकेत रे , ॥८२. मा० दे० बइसउ स्वामी इहां तुम्हे रे , मुझ पुत्र मूंकउ एह , लेख लिखी आपइ तिहां रे , चाल्य उ सेठनंइ गेह रे , ॥८३. मा० दे० राजगृह उद्यानमइ रे , कामदेव प्रसाद , वीसामउ तिहांकिण लीयउ रे , थाकउ पंथ विषाद रे, ॥८४. मा० दे० सूतउ तिहांकिण देहरइ रे , रूप-पुरंदर सोय , तेहवइ आवइ कन्यका रे , जाणे अपछर होय रे , ॥८५. मा० दे० सागरशेठनी ते सुता रे, नाम विषा छइ लास , पूजी प्रतिमा दिन प्रतइ रे , मांगइ वर धउ खास रे, ॥८६. मा० दे० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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