Book Title: Damannaka Kul Putrak Ras
Author(s): Kalpana K Sheth
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 11
________________ मातंग एक वसइ तिहां रे, मुह मांग्यउ द्रव्य आपिनइ रे, ल्यइ लाहो लखिमी तणो पूरइ वंछित आपणा ए बालकनउ वध करी रे, इम कहीन घरि आवियउ रे, खंगिल तिहांथी नीकलइ रे, हणवान बुद्ध करी रे, भावी ते तउ सही होय पामइ जीव कीया निज कर्म, नयण देखी बालनइ रे, विण अपराधइ किम हणुं रे, ए बालइ एहनो किसुं रे, कोमलतनुं कंचनसमउ रे, मोहंती पापी नही रे, परधनलोलुप हुं थइ रे, ए करम करिवा भणी रे, बालहत्या नउ ते भणी रे, Jain Education International 59 खंगिल तेहनउ नाम रे, बाo कहइ करि माहरउ काम रे, दूहा विलसइ भोग संयोग, जन्मांतर पुन्य योग. ले आवे अहिना रे, बा० सागरपोत सुजाण, बा० ढाल- ६ विणसाड्यउ कोइ काज, एहन किम हणुं आज. बाo ॥६३. तु० बालकनइ ले साथि, सुणज्यो प्राणि खड्ग लीयो निज हाथि सुणज्यो प्राणि. टाली सकइ नहीं कोय • आंकणी. सु० ऊपनी करुणा चित्त, सु० सेठ तणउ ले वित्त. उद्यत हुं थयउ मुढ, सु० पाप करूं किम गुढ. ॥६४. तु० For Private & Personal Use Only ॥६५. तु० अवर अधम इण काज, सु० बालक कां हणुं आज. ? ॥६६ ॥६७. सु० सु० ॥६८. सु० ॥ ६९. सु० १७०. सु० www.jainelibrary.org

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