Book Title: Daivat Bramhanam tatha Shadvinshat Bramhanam
Author(s): Samveda, Sayanacharya, Jivanand Vidyasagar
Publisher: Jivanand Vidyasagar
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द्वितीय व रोहः ।
समस्तस्योहोथस्योहानकम्मण ऋक साम-स्वरा इति वयोऽक्यवास्ते पृथक पृथक् मात्रादिसम्बन्धेन प्रसिद्धा भवन्ति । अथोहीयस्योक्त विधत्व प्रशंमति--
२५ । स वा एषा उद्गौथो बन्ध मान् बन्ध - मत्यः ।
बान्धवा मावादय स्तहान् । न केवलं बन्धमत्त्व किन्तु तेषामन्तभूतश्च । उतार्थज्ञानं शंसति
२६ । बन्धमान् बन्ध मत्यो भवति जानन्ति हवा एनं पिततश्च य एवं बेद । इति श्रीसायणाचार्यविरचिते माधवौये वेदार्थप्रकाशे देवताध्यायाख्ये पञ्चमे ब्राह्मण
प्रथमः खण्डः । पूर्वखगड़े सामा बहुधा देवता उताः ॥ अथ तदाश्रय भूतानां छन्दसां देवता अभिधास्यति । इदानों तेषां वर्णा नभिधातु प्रति जानौते
१। अथातम्छन्दसां वर्णाः। वक्ष्यन्त इति शेषः ॥ अथ गायत्यादिभेदेन वर्णविशेषानाह
२। शुक्ला गायत्नयो रूपेण सारङ्गएरूपमुष्णिहां पिशङ्ग ककुमाररूपं कृष्णमानष्ट भं
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